कई बार जरूरत से ज्यादा सख्ती बच्चों की मासूमियत और उनकी खुशी को छीन लेती है। बच्चों को डराने और रोकने के बजाय उन्हें प्यार और समझदारी से समझाना जरूरी है। आइए जानते हैं पेरेंटिंग में वो 5 जरूरी बातें (Parenting Tips) जिनका हर माता-पिता को ख्याल रखना चाहिए नहीं तो आगे चलकर आपको जिंदगीभर इस बात का मलाल रह जाएगा।
Parenting Tips: बच्चे अपनी मासूमियत, नटखट शरारतों और खिलखिलाती हंसी से घर में खुशियों की रोशनी भर देते हैं। उनकी क्यूटनेस और मासूम व्यवहार ही उन्हें सबसे खास बनाता है, लेकिन कई बार माता-पिता बेहतर परवरिश के चक्कर में जरूरत से ज्यादा सख्ती करने लगते हैं (Strict Parenting Side Effects), जिससे बच्चे डरपोक, चिड़चिड़े और जिद्दी बनने लगते हैं। उनकी वह मासूमियत और नैचुरल खुशमिजाजी धीरे-धीरे खोने लगती है।
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा खुशमिजाज, स्मार्ट और कॉन्फिडेंट बने, तो पेरेंटिंग में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो आइए जानते हैं 5 ऐसी अहम बातें (Effective Parenting Strategies), जो हर माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश में जरूर अपनानी चाहिए।
1) जरूरत से ज्यादा “ना” बोलना
क्या आपने गौर किया है कि जब आप अपने बच्चे को बार-बार “ना” कहते हैं, तो वह जिद करने लगता है? यह इसलिए होता है क्योंकि बच्चों को नए चीजें सीखने और एक्सप्लोर करने का स्वाभाविक हक होता है। लेकिन अगर हर चीज पर उन्हें मना किया जाए, तो वे या तो जिद्दी बन जाते हैं या फिर डरपोक।
क्या करें?
1.”ना” की जगह “शायद बाद में” या “दूसरा ऑप्शन ट्राय करें” जैसी बातों का इस्तेमाल करें।
2.हर चीज़ पर “ना” कहने की बजाय, बात को प्यार से समझाएं।
3.अगर कोई चीज़ हानिकारक है, तो बच्चे को उसका कारण बताएं।
2) जरूरत से ज्यादा अनुशासन
अनुशासन जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा सख्ती बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकती है। कई बार माता-पिता हर छोटी गलती पर डांटने लगते हैं, जिससे बच्चा या तो डरने लगता है या फिर खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाता।
क्या करें?
1.सिर्फ डांटने की बजाय, बच्चे को सही और गलत का फर्क समझाएं।
2.सख्ती करने से पहले बच्चे की गलती का कारण समझें।
3.प्यार से समझाकर चीजों को सही करना सिखाएं।
3) बच्चों की फीलिंग्स को नजरअंदाज करना
बच्चे भी इंसान होते हैं, उनकी भी भावनाएं और इच्छाएं होती हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता उनकी भावनाओं को गंभीरता से नहीं लेते और कहते हैं, “ये तो छोटी बात है” या “तुम अभी छोटे हो, तुम्हें क्या पता”। इससे बच्चा अपनी फीलिंग्स को दबाने लगता है और आगे चलकर वह खुद को एक्सप्रेस करने में हिचकिचाने लगता है।
क्या करें?
1.जब वह गुस्सा हो, तो उसकी भावनाओं को अहमियत दें और धीरे से समझाएं।
2.बच्चे की बातों को ध्यान से सुनें और उसे महसूस कराएं कि उसकी भावनाएं मायने रखती हैं।
3.अगर बच्चा उदास है, तो उसे गले लगाकर या उसके साथ खेलकर उसे खुश करने की कोशिश करें।
4) फैसले लेने का मौका न देना
हर बात पर माता-पिता बच्चों के लिए फैसले लेने लगते हैं, जैसे क्या पहनना है, क्या खाना है, कौन-सा खेल खेलना है आदि। इससे बच्चे में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। अगर उन्हें छोटी-छोटी चीजों में खुद निर्णय लेने दिया जाए, तो वे खुद को ज्यादा सशक्त महसूस करते हैं।
क्या करें?
1.अगर बच्चा कोई गलती करता है, तो उसे सुधारने का मौका दें, बजाय डांटने के।
2.बच्चों को खुद चुनने का मौका दें, जैसे “आज तुम कौन-सी ड्रेस पहनना चाहोगे?”
3.उन्हें छोटे फैसले लेने की आजादी दें, जिससे उनमें डिसीजन मेकिंग स्किल डेवलप होगी।