अग्नि-5 टेस्ट से ठीक पहले फिर आया चीनी खुफिया जहाज:750 किमी दूर की बातचीत सुन सकता है वांग-5, क्या रोकनी पड़ेगी टेस्टिंग

0
160

भारत की टोह लेने इस साल तीसरी बार चीन ने अपने खुफिया जहाज को भेजा है। 15-16 दिसंबर को भारत अग्नि-5 मिसाइल का टेस्ट करने जा रहा है। इसके लिए 30 नवंबर को NOTAM यानी नोटिस टू एयरमेन जारी किया था। इसके मुताबिक बंगाल की खाड़ी के 5,400 किमी. की रेंज को नो फ्लाई जोन बनाया गया है।

NOTAM जारी होने के सिर्फ 5 दिन बाद ही चीन ने अपना जासूसी जहाज युआन वांग-5 हिंद महासागर के क्षेत्र में भेज दिया। चीन का ये जहाज सोमवार से इंडोनेशिया के जावा द्वीप के आस-पास चक्कर लगा रहा है। इससे पहले अगस्त और नवंबर में भी चीन के खुफिया जहाज आ चुके हैं।

FADXVnYVIA0zNNZ

अग्नि-5 की जद में पूरा चीन, ट्रेस कर रहा रडार और प्रोजेक्ट्री

डिफेंस एक्सपर्ट रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी का कहना है कि भारत अपनी डिफेंस क्षमता लगातार बढ़ा है, ये चीन को रास नहीं आ रहा। अग्नि-5 मिसाइल की जद में पूरा चीन आएगा, जो चीन आर्मी के अधिकारियों के बीच इस वक्त हॉट टॉपिक होगा। ऐसे में चीन की कोशिश है कि वो इस मिसाइल से जुड़ी अधिक से अधिक खुफिया जानकारी जुटा सके।

डिफेंस एक्सपर्ट रिटायर्ड मेजर जनरल पीके सहगल के मुताबिक, ‘चीन, भारत के लगातार मिसाइल टेस्टिंग से परेशान है। अग्नि-5 के सफल परीक्षण के बाद भारत एयर, लैंड और वाटर तीनों ही जगहों से चीन को निशाना बना सकेगा। इससे चीन परेशान है।

FjXKkFVaAAAWSZb

चीनी शिप का भारत की मिसाइल टेस्टिंग पर कोई असर नहीं

जेएस सोढ़ी के मुताबिक, ‘भारत ने पहले ही खुले तौर पर अनाउंस कर रखा है कि वो अगले हफ्ते अग्नि-5 मिसाइल का टेस्ट करेगा। ऐसे में चीन अपनी पूरी सेना भी लाकर खड़ा कर दे, तो भी भारत को इस मिसाइल परीक्षण से रोक नहीं सकता। चीन सिर्फ भारत पर दबाव बनाना चाहता है, ये एक बेहद आम कूटनीति है। इस बीच वो चाहेगा कि किसी तरह मिसाइल की खुफिया जानकारी पता लगाए, ताकि इसका काउंटर तैयार किया जा सके।’

पीके सहगल का कहना है कि चीन इस बार हमारे डिफेंस सिस्टम का तोड़ निकालने की कोशिश करेगा। उसकी मंशा मिसाइल परीक्षण को प्रभावित करने की नहीं, बल्कि मिसाइल की खुफिया जानकारी निकालने की है। भारत भी इस बात से वाकिफ है, लेकिन वो अपना परीक्षण सिर्फ इस डर से नहीं रोकेगा कि कोई चीनी जहाज उसके मिसाइल की जासूसी करने के लिए खड़ा हुआ है।

भारत ने पिछली बार ब्लॉक कर दिया था चीनी शिप का ट्रेसिंग सिस्टम

जेएस सोढ़ी ने कहा, ‘इंटरनेशनल वाटर क्षेत्र में किसी भी देश का समुद्री जहाज आ-जा सकता है, इस पर कोई रोक-टोक नहीं होती। भारत के खुफिया एजेंसी की इस वक्त चीन के स्पाई जहाज के हर मूवमेंट पर नजर होगी।

पीके सहगल के मुताबिक, चीन इससे पहले भी भारतीय जहाजों और उसके मिसाइल की खुफिया जानकारी लेने अपने जासूसी जहाज भेज चुका है। पिछली बार जब उसका जासूसी जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा में हमारी मिसाइल की टोह लेने आया था तो सेना ने गल्फ इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से उसके ट्रेसिंग सिस्टम को ब्लॉक कर दिया था। इस बार भी भारत कुछ ऐसा कदम उठा सकता है।

पिछले आठ साल में ये छठी बार है जब भारत की जासूसी करने के लिए चीन ने अपने जहाज भेजे हैं…

ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से होगा परीक्षण

चीन का जासूसी जहाज युआन वांग-5 इस समय इंडोनेशिया के जावा द्वीप के आस-पास है। भारत अग्नि-5 का परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से करेगा। इन दोनों के बीच की दूरी करीब 4000 किमी है। यानी चीन का ये शिप फिलहाल अभी इतनी दूरी पर है कि वो मिसाइल परीक्षण से जुड़ी कोई जानकारी हासिल नहीं कर सकता।

Fi 45N8VUAAM8T8

परीक्षण को अभी लगभग 8 दिन बाकी हैं और चीन का ये जहाज इंटरनेशनल वाटर में 19 किमी की रफ्तार से ट्रैवल कर रहा है। भारत के NOTAM के अनुसार बंगाल की खाड़ी के 5400 किमी एरिया को नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। ऐसे में चीन की कोशिश ये होगी कि परीक्षण के पहले वो शिप को इतनी दूरी पर प्लेस कर दे, जहां से आसानी से मिसाइल के प्रोजेक्टाइल को ट्रैक कर सके।

FCt4R7vVkAQdfkf

अग्नि 5 के परीक्षण पर शांति का राग अलाप चुका है चीन

पिछले साल सितंबर में अग्नि 5 के परीक्षण के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने कहा था कि सभी देशों को दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साझा प्रयास करना चाहिए। लिजान ने कहा था- भारत न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास नहीं कर सकता है। ये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव 1172 का उल्लंघन है।

Finv2CSXgAAbFUx

दरअसल, जून 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1172 लागू किया गया था। प्रस्ताव में भारत और पाकिस्तान से परमाणु कार्यक्रम बंद करने और परमाणु परीक्षण से परहेज करने को कहा गया था। साथ ही दोनों देशों से न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के डेवलपमेंट को रोकने का आग्रह भी किया गया था। हालांकि भारत इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here