मुंबई: साइबर अपराधी अब नए-नए तरीकों से लोगों को जाल में फंसा रहे हैं। मुंबई की एक 45 वर्षीय रिकवरी एजेंट महिला को ठगों ने एक फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारी बनकर 1.16 लाख रुपये का चूना लगा दिया। आरोपी ने फोन पर महिला को बताया कि उसका नाम एक अवैध ड्रग लेन-देन मामले में शामिल है और उसके खिलाफ कई डेबिट कार्ड व पासपोर्ट रखने के आरोप हैं। ठगों ने उसे डराने के लिए फर्जी कोर्ट वारंट और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नोटिस भी दिखाया, जिससे महिला घबरा गई और पैसे ट्रांसफर कर दिए।
ठगों की साजिश बेहद सोची-समझी थी। पहले, महिला को अज्ञात नंबर से फोन कर खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया गया और फिर व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए एक नकली “सीनियर ऑफिसर” से मिलवाया गया। वीडियो कॉल के दौरान, महिला से आधार कार्ड की जानकारी मांगी गई, जिसे उसने सत्यापन के लिए साझा कर दिया। इसी बीच उसे मानसिक रूप से डराकर दो बार में 1 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए गए। अगले दिन, ठगों ने फिर संपर्क कर 16,000 रुपये और मांगे। जब महिला को शक हुआ और उसने वापस कॉल करने की कोशिश की, तो सभी नंबर बंद हो चुके थे।
ऐसे धोखाधड़ी से बचें:
अनजान कॉल्स से सतर्क रहें – अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताकर कॉल करे, तो तुरंत प्रतिक्रिया न दें। पहले उसकी सच्चाई जांचें।
व्यक्तिगत जानकारी न दें – फोन या वीडियो कॉल पर आधार नंबर, बैंक डिटेल्स या पासवर्ड साझा करने से बचें।
आधिकारिक स्रोतों से जांच करें – किसी भी संदेहजनक कॉल या मैसेज की पुष्टि के लिए संबंधित सरकारी एजेंसी या बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर संपर्क करें।
जल्दबाजी में पैसा न भेजें – ठग आमतौर पर जल्द फैसला लेने का दबाव डालते हैं। किसी भी ट्रांजेक्शन से पहले भरोसेमंद लोगों से सलाह लें।
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। अगर आपको भी इस तरह की कोई संदिग्ध कॉल मिले, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।





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