कुंभ मेले के सेक्टर-17 में स्थित शक्तिधाम आश्रम एक ऐसा अनूठा केंद्र बन गया है, जो दुनियाभर के श्रद्धालुओं और जिज्ञासुओं का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस आश्रम की सबसे खास बात यह है कि यहां नौ महामंडलेश्वर विदेशी मूल के हैं। अमेरिका, इज़राइल, जापान जैसे अलग-अलग देशों से आए इन महामंडलेश्वरों ने सनातन धर्म को पूरी तरह आत्मसात कर लिया है। इनमें सात पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं, जो संस्कृत शास्त्रों का अद्भुत ज्ञान रखते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना चुके हैं। शक्तिधाम आश्रम न केवल भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि यह वैश्विक भाईचारे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जीता-जागता उदाहरण भी है।
अमेरिका से आए महामंडलेश्वर अनंत दास महाराज बताते हैं कि वे साईं मां से पहली बार अमेरिका में मिले थे, जिनकी कथा ने उन्हें गहराई तक प्रभावित किया। यह उनके सनातन धर्म से जुड़ने की शुरुआत थी, और बाद में उन्हें वाराणसी स्थित शक्तिधाम आश्रम में महामंडलेश्वर का दायित्व सौंपा गया। वे अब शिक्षा और योग के माध्यम से विदेशी समुदायों को सनातन धर्म की ओर आकर्षित कर रहे हैं। यह आश्रम भारतीय आध्यात्मिकता की वह शक्ति है जो धर्म और सीमाओं से परे, पूरे विश्व में मानवता और सद्भाव का संदेश फैला रही है।
शक्तिधाम आश्रम कुंभ मेले में सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक एकता का अद्वितीय प्रतीक बन गया है। यहां रहने वाले विदेशी महामंडलेश्वर भारतीय संस्कृति में इतने रचे-बसे हैं कि वे न केवल सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं, बल्कि शिक्षा और योग के जरिए लोगों को बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। यह आश्रम यह संदेश देता है कि धर्म और संस्कृति विभाजन का नहीं, बल्कि एकता और सौहार्द का माध्यम हैं। शक्तिधाम आश्रम का यह प्रयास यह दर्शाता है कि सनातन धर्म का प्रभाव अब सीमाओं से परे, दुनिया के हर कोने में अपनी जगह बना रहा है। यह आश्रम हमें सिखाता है कि भारतीय आध्यात्मिकता में इतनी ताकत है कि वह दुनियाभर के लोगों को जोड़ सकती है।






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