- जहाँ धर्म की जड़ें गहरी होती हैं, वहाँ नागा साधु संतोष से चलते हैं
4,500 हेक्टेयर में फैला एक नगर
जहाँ हर पग मोक्ष की यात्रा का हिस्सा बनता है
तट पर गंगा का हर धारा ज्ञान की गंगा बन जाती है
यहाँ आध्यात्मिकता का महोत्सव होता है
हर हवन में ब्रह्मांड का प्रतीक दिखता है
महाकुंभ: संस्कृति की उस कथा का हिस्सा, जो युगों से जीवित है
यहाँ हर आह्वान, हर प्रार्थना, हर शंखनाद मोक्ष का मार्ग है
यहाँ की पवित्रता विश्व के हर कोने तक फैली है
महाकुंभ: आत्मा और परमात्मा के मिलन की परंपरा।
2. कुंभ का वो पहला सूरज, जब संगम की धरती पर पड़ेगा,
भक्तों का सैलाब गंगा की लहरों को भी थाम लेगा
विश्व के सबसे बड़े आयोजन की दिव्यता
संतों और नागाओं का मिलन, तप और त्याग की कथा
हर पंडाल में वेदों का पठन, हर आरती में आकाश तक गूँज
50 लाख तंबुओं का नगर
जहाँ रात का हर दीपक मोक्ष की ओर जलता है
यहाँ दर्शन होता है सैकड़ों अखाड़ों का, जो आत्मा और बल का संगम हैं
जहाँ नागा साधु चलते हैं, वहाँ धर्म की दीवारें टूटती हैं
यह केवल मेला नहीं, यह सनातन धर्म का अमर उत्सव है।
3. गंगा की लहरों पर विश्वास का दीप तैरता है
महाकुंभ 2025 में दुनिया भर से भक्तों का आगमन होगा
10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति
जहाँ हर घाट पर मोक्ष का द्वार खुलता है
हर डुबकी में है आत्मा का शुद्धिकरण
हर संत की वाणी में वेदों का ज्ञान बहता है
जहाँ धर्म, संस्कृति, और आस्था की अमर कहानी लिखी जाती है
लाखों साधुओं का समागम और अद्वितीय नागा साधुओं की छटा
संगम किनारे हर मंत्र का हर अक्षर मुक्ति का मार्ग दिखाता है
जहाँ गंगा का हर कण, अमृत का आशीर्वाद देता है।
4. कुंभ का पहला स्नान ही 3 करोड़ भक्तों को एक साथ संगम में लाएगा
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का यह मिलन
जहाँ हर स्नान, हर मंत्र मुक्ति की राह दिखाता है
लाखों हवन कुंडों में आहुति, लाखों दुआओं की गूँज
हर डुबकी में जीवन के पापों का हरण होता है
भारत का यह सांस्कृतिक पर्व विश्व के हर कोने को जोड़ता है
जहाँ हर तट पर गूंजती है आरती की ध्वनि
यहाँ का धूल कण भी मोक्ष का संदेश देता है
महाकुंभ: जहाँ आस्था हर सीमा को पार करती है।
5. जब नागा साधुओं की टोली गंगा किनारे चलती है,
तब धरती पर धर्म का महायज्ञ जलता है
जहाँ लाखों दीपक मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं
संगम पर हर स्नान जीवन का पुण्य नहलाता है
2025 में कुंभ नगरी हरिद्वार तैयार है भक्ति की बाढ़ के लिए
तीन नदियों का संगम, तीन लोकों का एहसास
यहाँ ध्वनि है शंखनाद की, और प्रतिध्वनि है अध्यात्म की
हर कण में सत्य, धर्म, और तप का साक्षात्कार है
यह मेला केवल एक आयोजन नहीं, यह शाश्वत सत्य की खोज है
जहाँ नागा साधु हों, वहाँ जीवन के हर भ्रम का नाश है।
6. जहाँ करोड़ों आस्थाएँ मिलती हैं, वहाँ जल में अमृत झलकता है
जहाँ साधु-संतों का संग होता है, वहाँ धर्म का नया अध्याय बनता है
हर स्नान से पापों का नाश होता है, हर डुबकी से जीवन में प्रकाश होता है
जहाँ भक्ति की बूँदें सरस्वती, यमुना और गंगा में बहती हैं
यह केवल मेला नहीं, यह आत्मा और परमात्मा का मिलन है
सत्संग की सुगंध जहाँ हर दिशा में फैलती है
हर हर महादेव के नारों से गूँजता आकाश है
संगम की पावन भूमि पर मुक्ति का साक्षात अनुभव होता है
महाकुंभ का हर क्षण एक इतिहास रचता है
जहाँ श्रद्धालु आते हैं, वहाँ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगम होता है।