नाना पाटेकर, बॉलीवुड के एक ऐसे दिग्गज अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने अभिनय और सामाजिक कार्यों से सभी का दिल जीता है। उनकी जिंदगी संघर्षों से भरी रही, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ता से एक अलग पहचान बनाई। एक तरफ वे अपने शानदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं, तो दूसरी ओर वे अपने सामाजिक कार्यों और विवादों के कारण चर्चा में रहते हैं। इस वीडियो में हम नाना पाटेकर के परिवार, उनके शुरुआती संघर्ष, करियर की ऊंचाइयों और उनके जीवन के अनसुने पहलुओं पर बात करेंगे।
हम बात करेंगे एक ऐसे अभिनेता की, जिनकी सादगी, अभिनय और समाज सेवा उन्हें बॉलीवुड के सबसे सम्मानित व्यक्तित्वों में से एक बनाते हैं। नाना पाटेकर ने न केवल फिल्मों में अपनी अलग छाप छोड़ी, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। चलिए, उनकी प्रेरणादायक कहानी की शुरुआत करते हैं।
नाना पाटेकर का असली नाम विश्वनाथ पाटेकर है और उनका जन्म 1 जनवरी 1954 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के मुरुद जंजीरा में हुआ। उनके पिता दिनकर पाटेकर कपड़ों के कारोबार से जुड़े थे। लेकिन एक धोखाधड़ी के कारण उनके परिवार को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। मात्र 13 साल की उम्र में नाना को पढ़ाई के साथ-साथ परिवार का सहारा बनना पड़ा। उन्होंने मुंबई में फिल्म पोस्टरों को पेंट करने का काम शुरू किया और उस समय उन्हें महीने के केवल 35 रुपये मिलते थे।
उनके पिता के तमाशा और नाटकों के शौक ने नाना में अभिनय के प्रति रुचि जगाई। स्कूल के दिनों से ही उन्होंने थिएटर करना शुरू कर दिया और कॉलेज के बाद एक एड एजेंसी में काम किया। हालांकि, नाटकों में काम करने के जुनून ने उन्हें थिएटर की ओर मोड़ दिया। पिता के सहयोग और प्रोत्साहन के कारण उन्होंने अभिनय को करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई के रैनसम विद्यालय और फिर संजय जैन इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड आर्ट से पूरी की।
नाना पाटेकर का अभिनय करियर 1978 में फिल्म “गमन” से शुरू हुआ, लेकिन उन्हें पहचान 1989 में फिल्म “परिंदा” से मिली। इस फिल्म में खलनायक की भूमिका ने उन्हें इंडस्ट्री में एक सशक्त अभिनेता के रूप में स्थापित किया। इसके बाद “क्रांतिवीर”, “अग्निसाक्षी”, और “अब तक छप्पन” जैसी फिल्मों में उनके दमदार प्रदर्शन ने उन्हें दर्शकों और आलोचकों दोनों का प्यार दिलाया।
नाना पाटेकर ने न केवल अपनी एक्टिंग से बल्कि अपनी सादगी भरी जिंदगी और समाज सेवा से भी लोगों का दिल जीता। वे महाराष्ट्र के किसानों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। उन्होंने कई किसानों के कर्ज माफ करवाने और उन्हें आत्महत्या से बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। वे अक्सर कहते हैं कि समाज को वापस देने में ही जीवन का असली आनंद है।
हालांकि, नाना का जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा। “मी टू” मूवमेंट के दौरान उन पर गंभीर आरोप लगे, जिनसे उनकी छवि पर असर पड़ा। लेकिन उन्होंने इन आरोपों का डटकर सामना किया और अपने पक्ष को मजबूती से रखा। नाना का मानना है कि सच्चाई के साथ खड़ा रहना सबसे महत्वपूर्ण है, चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों।





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