लगातार तबादलों पर विपक्ष का निशाना, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए सोमवार को 10 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। हाल ही में 40 से अधिक आईएएस अधिकारियों के तबादलों के बाद, इस निर्णय ने विपक्ष को सरकार पर उंगलियाँ उठाने का मौका दे दिया है। कांग्रेस ने इन तबादलों को प्रशासनिक अस्थिरता का संकेत बताते हुए मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
ग्वालियर रेंज के आईजी मिथिलेश कुमार शुक्ला को नर्मदापुरम संभाग का आईजी नियुक्त किया गया है। जबलपुर के अतिरिक्त आईजी तुषार कांत विद्यार्थी का तबादला भोपाल पीएचक्यू में कर दिया गया है, जहां उनकी जगह अतुल सिंह को पदस्थ किया गया है।
सरकार ने छिंदवाड़ा, शहडोल, और सिंगरौली जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) का भी तबादला कर दिया है। अजय पांडे को छिंदवाड़ा का नया एसपी बनाया गया है, जबकि रामजी श्रीवास्तव और मनीष खत्री को क्रमशः शहडोल और सिंगरौली का एसपी नियुक्त किया गया है। इन बदलावों पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं, और विपक्ष इसे प्रशासनिक अस्थिरता और अधिकारियों में असंतोष का कारण मान रहा है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि तबादलों के पीछे वित्तीय लेनदेन हो सकता है। पटवारी का दावा है कि पिछले 10 महीनों में 282 आईएएस अधिकारियों का तबादला हो चुका है, जो राज्य के कुल आईएएस अधिकारियों का लगभग 74 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की प्रशासनिक कमजोरी का फायदा बिचौलियों को मिल रहा है, जिससे राज्य में अराजकता का माहौल बनता जा रहा है।
सरकार का कहना है कि ये तबादले प्रशासनिक सुधार के तहत किए गए हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासनिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहा तो आने वाले चुनावों में सरकार को जनता का सामना करना पड़ेगा।