शुक्रवार का दिन मां संतोषी और वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है। मां संतोषी को सुख, शांति, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति शुक्रवार को व्रत रखकर विधिवत पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, और विशेष रूप से धन और विवाह से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है। संतोषी माता का व्रत बहुत सरल है, इसमें कोई कठोर नियम नहीं होते। इसे 16 शुक्रवार तक लगातार रखने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। साथ ही इस दौरान मां संतोषी की आरती और व्रत कथा का पाठ भी किया जाता है, जो पूजा का हिस्सा होते हैं।
संतोषी माता के व्रत की पूजा विधि काफी सरल और प्रभावी है। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर एक साफ जगह पर लाल कपड़ा बिछाकर मां संतोषी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापना करें और मां को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत, और गुड़ के साथ चने की दाल चढ़ाएं। भोग के रूप में केले और गुड़ चढ़ाकर घी का दीपक जलाएं। पूजा के दौरान माता के मंत्रों का जाप करते हुए आरती करें और प्रसाद बांटने के बाद घर में कलश का पानी छिड़कें।
इस व्रत में कुछ विशेष सावधानियां भी रखी जाती हैं। भूलकर भी खट्टी चीजें, तामसिक पदार्थ जैसे प्याज, लहसुन, शराब, और मांस का सेवन न करें। इस दिन किसी से गलत बोलने या किसी का बुरा करने से बचें। यदि कुंवारी लड़कियां 16 शुक्रवार तक यह व्रत करती हैं, तो उनकी शादी का योग बनता है, जबकि शादीशुदा महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। संतोषी मां की पूजा से जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं।