48 बोरी कि जगह 29 बोरी की कर दी गई फीडिंग, किसान परेशान। जिला कलेक्टर से लगाई न्याय कि गुहार। समिति प्रबंधक एवं ऑपरेटर को बचाने में लगे रहे सहकारिता के विकास माठे।
सिरमौर/ सिरमौर तहसील अंतगर्त क्योंटी वेयर हाउस में 3 सेवा सहकारी समितियों का गेंहू उपार्जन केंद्र बनाया गया है जिनमे किसानों के साथ जमकर लूट की जा रही है किसानों ने आरोप लगाया है कि ज्यादा बजन के साथ तौलाई का पैसा हम किसानों को देना पड़ता है जिसकी शिकायत फ़ूड विभाग और सहकारिता विभाग में की जाती है लेकिन कभी कार्यवाही नही की जाती। इसी कड़ी में क्योटी वेयर हाउस में संचालित सेवा सहकारी समिति खैरहन क्रमांक -1 से खबर सामने आई है कि एक किसान के राई तौलाई में धोखाधड़ी की गई है किसान के मुताबिक 48 बोरी तौल की गई और रसीद में शील लगाकर दिया गया और जब फीडिंग की गई तो सिर्फ 29 की। जिसकी जानकारी लगते ही किसान परेशान हो गया। समिति प्रभारी से संपर्क किया तो वो नोकझोक में उतर आए और सही मार्गदर्शन नही दिए। जिस बजह से किसान इधर उधर भटक रहा है
इस संबंध में जब ऑपरेटर किरण गौतम से बात की गई तो वह बातचीत करने से मना कर दी। वही समिति प्रबंधक रामचरण वर्मा जो खरीदी केंद्र में नहीं रहते क्योंकि खरीदी की बागडोर महिला ऑपरेटर के पास है तो कौन बात करे। वही पीड़ित किसान रितेश द्विवेदी ने बताया कि मैं अपनी सरसों की फसल बेचने सेवा सहकारी समिति खैरहन केंद्र क्रमांक 1 आया था जहां मेरे द्वारा कुल 48 बोरी सरसों की बिक्री की गई। और मुझसे जबरन 51 किलो 100 ग्राम का बजन भी लिया गया। इसका मैने विरोध किया था जिसका नतीजा है कि 48 की जगह केवल 29 बोरी की ही फीडिंग की गई।
समिति वालो से पूंछने पर कहा गया कि तुम शिकायत करते हो तो कर लो जितना करना हो शिकायत कुछ नहीं कर सकते मेरा। हम 51 किलो 52 किलो जितना मन होगा उतना लेंगे और फीड करेंगे। किसान ने बताया कि सहकारी समिति के कर्मचारी ने कुल 48 बोरी कि ऑफलाइन पावती भी दे रखी है लेकिन शेष 19 बोरी की फीडिंग इनके द्वारा नहीं की जा रही है विरोध करने के एवज में मेरे साथ धोखाधड़ी की जा रही है।
किसान ने जिला कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि मेरी ज्यादा बजन की तौलाई वापिस करवाया जाए एवं शेष 19 बोरी की फीडिंग कराई जाय। देखने में आया है कि सेवा सहकारी समिति खैरहन क्रमांक 1 में कर्मचारियों द्वारा मनमानी पूर्ण रवैया अपनाकर किसानों से 51 किलो 200 ग्राम बजन लिया जा रहा है जबकि शासन द्वारा मात्र 50 किलो 700 ग्राम बजन लेने का प्रावधान है साथ ही खरीदी केंद्र में किसानों को नही पानी की व्यवस्था है न ही बैठने की कोई व्यवस्था है जिससे किसान चिलचिलाती धूप में खडे रहते है उनकी समस्या को देखने सुनने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नही है।
वही शिकायत पर सहकारिता विभाग के विकास मांठे जांच करने तो गए लेकिन हमेशा की तरह सेवा सहकारी समिति के भ्रष्ट ऑपरेटर,प्रभारी और समिति प्रबंधक को बचाने में लगे रहे। जब उनसे इस संबंध में मीडिया वाले बात करना चाहा तो भागते नजर आए। इतना ही नही जब फोन लगाया जा रहा था तो उनके द्वारा फोन तक रिसीव नही किया जा रहा है। सवाल यही की समिति प्रबंधकों एवं ऑपरेटरों के मनमानी की जांच करे तो करे कौन?