रीवा लोकसभा सीट में भाजपा से जनार्दन मिश्रा का 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के पश्चात पार्टी द्वारा तीसरी बार पुनः चुनावी मैदान में उतारे जाने से रीवा और मऊगंज जिले का समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जनता जनार्दन व पार्टी के पदाधिकारी स्वयं एक नए चेहरे को चुनावी मैदान में देखना चाह रहे थे। परंतु ऐसा नहीं होने से जनता एवं कार्यकर्ता स्वयं अंदर से असंतुष्ट है। लोगों का कहना है कि पार्टी अगर नये चेहरा को चुनावी मैदान में उतरती तो एक तरफा भाजपा के पक्ष में मतदान होता। फिलहाल क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का दबदबा देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि जनार्दन मिश्रा को जो भी मत मिलेगा वह सिर्फ मोदी व भाजपा के नाम से मिलेगा। चुंकि क्षेत्र के मतदाता जोकि जनार्दन मिश्रा के कार्यकाल से पूरी तरह से असंतुष्ट नजर आ रहीं हैं। उनके विकास कार्यों से जनता जनार्दन में कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ पाया है। जो कुछ कार्य किये हैं उनमें भ्रष्टाचार कमीशन खोरी खूब झलक रही है। क्षेत्र में सक्रिय राजनीतिक दल भी भ्रष्टाचार जैसे विभिन्न मुद्दों में भाजपा प्रत्याशी को जमकर घेरते हुए नजर आ रहे है। जनार्दन मिश्रा द्वारा शौचालय में डायरेक्ट हाथ डाल देना, सभा से जनता को भगा देना, अशोभनीय शब्दों का उपयोग करना जैसे कई कारनामे भी चुनाव में माइनस पॉइंट पर ले जा रहा है। जिसकी वजह से भाजपा को रीवा लोकसभा सीट से कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। 26 अप्रैल को रीवा लोकसभा सीट में मतदान होना है ऐसे में रूठे मतदाताओं को मनाने अब तक भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सभा को संबोधित किया जा चुका है। 23 अप्रैल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी रीवा आ रहे हैं। भाजपा के दांत खट्टे करने के लिए इस बार कांग्रेस ने भी बड़ा दाव खेला है व कांग्रेस की ओर से महिला चेहरा को आगे किया गया है। सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को धराशाही करने वाले विधायक अभय मिश्रा की धर्मपत्नी व पूर्व विधायक नीलम मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारे जाने से रीवा लोकसभा सीट में भाजपा की कांटे की टक्कर देखी जा रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी ब्राह्मण होने की वजह से कांग्रेस को इसका अतिरिक्त लाभ मिल रहा है। फिलहाल अन्य दलों के समीकरण स्पष्ट नहीं है। जनता की पसंद ना होने के बावजूद भाजपा द्वारा जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार मौका दिया जाना क्षेत्र के मतदाताओं को हजम नहीं हो रहा है। कुछ मतदाताओं का कहना है कि थोपने वाला सिस्टम तोड़ना पड़ेगा। फिलहाल आगे स्थिति किस प्रकार से बनेगी यह देखना काफी दिलचस्प होगा।