Saturday, December 6, 2025

Politics: कौन है अरुण गोयल: लोकसभा इलेक्शन से ठीक पहले इस्तीफ़ा देने वाले चुनाव आयुक्त

देर शाम पंजाब काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण गोयल ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उनका इस्तीफ़ा ऐसे वक्त हुआ है जब देश में लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और उनके कार्यकाल के ख़त्म होने में अभी तीन साल बाक़ी हैं. अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अरुण गोयल के इस्तीफ़े ने जितना चौंकाया उतना ही नवंबर 2022 में अचानक हुई उनकी नियुक्ति ने भी चौंकाया था. उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी.

बतौर आईएएस अधिकारी 37 साल तक काम करने के बाद अरुण गोयल 31 दिसंबर 2022 को रिटायर होने वाले थे. लेकिन इससे महीनाभर पहले 18 नवंबर 2022 को उन्होंने वॉलंटरी रिटायरमेन्ट ले लिया. इसके एक दिन बाद 19 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति ने उन्हें चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया. 15 मई 2022 से खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति के दो दिन बाद अरुण गोयल ने 21 नवंबर 2022 को कार्यभार संभाल लिया.

2022 में जिस वक्त अरुण गोयल की नियुक्ति हुई उस वक्त सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त कि नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था. चुनाव और इससे जुड़े मामलों में पारदर्शिता के लिए काम कर रही संस्था असोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइस्ट (एडीआर) ने अरुण गोयल की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और इसे एकतरफा करार दिया.

संस्था की दलील थी कि गोयल को ज़रूर पहले से जानकारी रही होगी इसलिए उन्होंने चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति से ठीक पहले वॉलंटरी रिटायरमेन्ट ले लिया. ये याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी.

अरुण गोयल कौन हैं?
गोयल का इस्तीफ़ा ऐसे वक्त आया है जब चुनाव आयोग लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटा है और अधिकारी देशभर में घूम-घूम कर तैयारियों का जायज़ा ले रहे हैं. चुनावों की तारीखों का भी जल्द एलान हो सकता है.

चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे बीते महीने रिटायर हुए हैं. गोयल के इस्तीफ़े के बाद तीन सदस्यों वाले इस संगठन में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए गए हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार 1962 में पंजाब के पटियाला में जन्मे गोयल ने गणित में मास्टर्स डिग्री हासिल की है.वॉलंटरी रिटायरमेन्ट लेते वक्त अरुण गोयल भारी उद्योग मंत्रालय में बतौर सचिव काम कर रहे थे. इससे पहले वो संस्कृति मंत्रालय में बतौर सचिव और दिल्ली विकास प्राधिकरण में बतौर वाइस चेयरपर्सन काम कर चुके थे.

भारी उद्योग मंत्रालय में काम के दौरान उन्होंने ई-व्हीकल के प्रसार को लेकर काम किया. इस दौरान उन्होंने ऑटो इंडस्ट्री के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेन्टिव) स्कीम लागू किया और इस सेक्टर में निवेश को बढ़ाया.उन्होंने कुछ वक्त पंजाब सरकार के लिए भी काम किया और बतौर मुख्य सचिव न्यू चंडीगढ़ के मास्टरप्लान को लागू करने और ऊर्जा के क्षेत्र में सुधारों को लागू करने में में अहम भूमिका निभाई.

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