भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ ने तथाकथित बड़े-बड़े विकसित राष्ट्रों को पीछे छोड़ दिया है, और भारत ने अपने इस कारनामे से सबको हैरान कर दिया है। जहां पहले भारत को पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा गरीबी, गंदगी आदि परिपाटियों में दिखाया जाता था; वही आज अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत में गरीबी आबादी की संख्या में लगातार कमी आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक देश से अति गरीबी का उन्मूलन खत्म होने की कगार में है। ध्यातव्य है कि भारत सरकार ने लक्ष्य को महज 11 सालों में ही प्राप्त कर लिया है जो पहले लगभग 30 सालों में देखने को मिलता था। अमेरिकी इंस्टिट्यूट ब्रुकिंग्स ने 2022-23 के उपभोग व्यय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2011-12 के बाद से वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत 2.9% प्रतिवर्ष बढ़ी है। इस दौरान ग्रामीण वृद्धि 3.01% और शहरी वृद्धि 2.6 प्रतिशत रही ।
आइये पहले हम जानते हैं कि गरीबी क्या होती है :
गरीबी एक ऐसी अवस्था या स्थित है जिसमें किसी व्यक्ति या समुदाय के पास न्यूनतम जीवन यापन के लिए वित्तीय संसाधनों और आवश्यक चीजों का अभाव होता है। गरीबी का मतलब है कि रोजगार से आय का स्तर इतना काम होना कि बुनियादी मानवीय जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सके।
भारत में गरीबी का आकलन नीति आयोग की टास्क फोर्स द्वारा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यकार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर गरीबी रेखा की गणना की जाती है।भारत में गरीबी का आकलन उपभोग व्यापार आधारित है ना कि आय के स्तर पर। गरीबी की घटना को गरीबी अनुपात द्वारा मापा जाता है, जो प्रतिशत के रूप में व्यक्त कुल जनसंख्या में गरीबों की संख्या का अनुपात है। इसे हेड काउंट अनुपात भी कहते हैं।
चलिए आंकड़ों से समझते हैं कि कैसे अति गरीबी की दर खत्म हो रही है :
शहरी गिनी सूचकांक 36.7 से घटकर 31.9 हो गई जबकि ग्रामीण गिनी सूचकांक 28.7 से घटकर 27 रह गई । (आपको बता दूं कि) गिनी सूचकांक आय वितरण की असमानता को प्रदर्शित करता है। यदि यह शून्य हो तो इसका अर्थ है कि समाज में पूरी तरह से समानता है।ब्रुकिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उच्च वृद्धि दर और असमानता में बड़ी गिरावट ने मिलकर भारत में गरीबों को खत्म कर दिया है। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली आबादी का अनुपात हेड काउंट गरीबी अनुपात 2011-12 में 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में मात्र तीन प्रतिशत रह गया है ।
भारत में गरीबी के कारणो को जानते हैं:
जनसंख्या विस्फोट: भारत की जनसंख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है पिछले 50 वर्षों के दौरान इसमें प्रतिवर्ष दो प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। इससे उपभोग वस्तुओं की मांग भी काफी बढ़ जाती है । इसके अलावा अन्य कारण जैसे कम कृषि उत्पादकता, कुशल संसाधन उपयोग, आर्थिक विकास की निम्न दर, बेरोजगारी इत्यादि।इस गरीबी की जाल से लोगों को निकालने के लिए भारत सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जैसे एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना, इंदिरा आवास योजना, काम के बदले भोजन कार्यक्रम, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, अन्नपूर्णा योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना इत्यादि।
भारत सरकार द्वारा चलाए गए बहुआयामी योजनाओं के परिणाम स्वरुप ग्रामीण अति गरीबी 2.5 प्रतिशत एवं शहरी अति गरीबी 1 % रह गई है।
ब्रुकिंग्स के इस रिपोर्ट में उल्लेखित है कि भारत सरकार द्वारा लगभग दो तिहाई आबादी के को दिए जाने वाले मुफ्त भोजन (गेहूं & चावल) और सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा शिक्षा को ध्यान में नहीं रखा गया है।
हेड अकाउंट में गिरावट उल्लेखनीय है क्योंकि अतीत में भारत को गरीबों के स्तर में इतनी कमी लाने के लिए 30 साल लगे थे जबकि इस बार इसे 11 साल में ही प्राप्त किया गया है। आधिकारिक आंकड़े इस बात को प्रमाणित करते हैं कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमानों में परिभाषित अति गरीबी को खत्म करने की राह में है क्योंकि गरीबी उन्मूलन अर्थव्यवस्था और समाज की एक सतत और समावेशी वृद्धि को सुनिश्चित करेगा। इसलिए हम सभी को देश से गरीबी दूर करने हेतु किया जा रहे प्रयासों में हर संभव मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।
Top News: भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ ने तथाकथित बड़े-बड़े विकसित राष्ट्रों को पीछे छोड़ा
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