अवैध प्लाटिंग का धंधा जोरों पर, राजस्व विभाग मौन, धारा 80 के तहत भूमि को गैर कृषिक की मंजूरी नहीं लेते प्लाटर।
बारा/शंकरगढ़/लालापुर/जसरा(प्रयागराज) क्षेत्र में कायदे कानून को दर किनार करके जसरा, बारा, शंकरगढ़ आदि क्षेत्रों के इर्द गिर्द कृषि योग्य जमीनों पर अवैध प्लाटिंग का धंधा इन दिनों चरम पर है। इलाके में सक्रिय भू माफिया लोगों को पार्क ,सड़क, लाइट, नापदान, सामुदायिक केंद्र, हस्पिटल, खेल का मैदान आदि का सब्जबाग दिखाकर अवैध तरीके से प्लाट बेंच रहे हैं जिससे राजस्व को हानि, यूपी भवन संचालन विनियमन अधिनियम एक्ट 1958 का उल्लघंन , पर्यावरण को नुक़सान तथा राजस्व संहिता की धारा 80 का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है।
बता दें कि बारा, जसरा शंकरगढ़ , शिवराजपुर, गाढ़ा कटरा, आम गोंदर, जनवा, टकटई, कपारी, जोरवट , निराला नगर, लालापुरवा, नीबी, लोहगरा, कपसो अंतरी , मोदी नगर, सेन नगर, लेदर, आदि इलाकों में अवैध तरीके से प्लाटिंग कर रहे कई लोगों द्वारा न तो नक्शा पास कराया जा रहा है, न ही बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं न ही राजस्व नियमों का पालन किया जा रहा जिसमे राजस्व विभाग की मौन स्वीकृति से इंकार नहीं किया जा सकता। प्लाटर कृषि योग्य जमीनों को टुकड़ों में काटकर बेंच रहे हैं । कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन ने अब तक इनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं। कुछ जगहों पर कुछ शातिर किस्म के लोग एक अदद कंस्ट्रूशन कंपनी का रजिस्ट्रेशन भी करके प्लाट बेंच रहे हैं। कुछ एकाध जगह रजिस्ट्रेशन तो है लेकिन प्लाटिंग नियम कानून के विपरीत ही है।बारा तहसील का शायद ही कोई ऐसा कोना अछूता होगा, जहां खेतों में कालोनी और प्लाटिंग के नाम पर यह गोरखधंधा न हो रहा हो। ये भू माफिया एक अदद संस्था का नाम रखकर धड़ल्ले से प्लाट काटते हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि कालोनी का विकास कब होगा। इलाके में अवैध प्लाटिंग की वजह से हाइवे, स्टेट हाईवे और संपर्क मार्ग के किनारे मौजूद खेत भी तेजी से समाप्त होते जा रहे हैं।
क्या कहता है नियम
नियम के मुताबिक ले आउट बनाकर प्लाटिंग कराने से उसके लिए बंदिशें बढ़ जाती हैं। नक्शा पास कराने पर पार्क के लिए जगह छोड़ना अनिवार्य हो जाता है। सड़कों की चौड़ाई भी प्रावधान के अनुसार रखनी पड़ती है। नाली, बिजली और पानी की व्यवस्था करके देनी होती है। यही नहीं सरकार को डेवलपमेंट चार्ज भी देना पड़ता है। इतना सब करने से प्लाटिंग कॉस्ट बढ़ जाती है। जिससे मुनाफे पर असर पड़ता है। इसी वजह से बगैर ले आउट दाखिल किए सारे कार्य किए जा रहे हैं। इसके अलावा आवेदक को राजस्व विभाग में धारा 80 के अंतर्गत जिस जमीन पर प्लाटिंग करनी है उसे गैर कृषिक की घोषणा के लिए आवेदन करना होता है। इसके बाद संबंधित उपजिलाधिकारी न्यायालय में ’राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली’ की अनुमति मिलती है।
किसान और खरीददार हो जाएं सावधान
प्लाटिंग के अधिकतर मामले में जमीन का व्यपवर्तन ही नहीं हुआ रहता, तब तक अवैध प्लाटिंग करने वाले अपना काम पूरा कर निकल जाते हैं। इसके बाद क्रेता अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। बाद में उन्हें सड़क,नाली,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है। कई प्लाटिंग करने वाले लोग बड़े ही चालाक होते हैं। जब वे किसानों से उनकी जमीन खरीदते हैं तो उन्हें थोड़े पैसे देकर सिर्फ एग्रीमेंट कराते हैं और सीधे ग्राहक के नाम पर टुकड़े में किसानों से ही रजिस्ट्री कराते हैं। इसमें भविष्य में कार्रवाई होने पर अवैध प्लाटिंग करने वाले लोग बच जाते हैं । सिर्फ टुकड़ों में रजिस्ट्री करने वाले किसान फंस सकते हैं।शंकरगढ़ तथा इससे सटे कई ग्रामीण इलाकों में कृषि योग्य जमीनों में अवैध प्लाटिंग कर लोगों को तथा सरकार को ठगने वाले इन भू माफियाओं पर कब कार्य वाई होती है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन अगर इसी तरह राजस्व विभाग मौन रहा तो राजस्व को नुकसान के साथ साथ कृषि योग्य भूमि समाप्त हो जायेगी।
Prayagraj: कृषि योग्य जमीनों पर अवैध तरीके से हो रही है प्लाटिंग , राजस्व को नुकसान
- Advertisement -
For You
आपका विचार ?
Live
How is my site?
This poll is for your feedback that matter to us
Latest news
Live Scores





Total Users : 13163
Total views : 32014