Friday, December 5, 2025

Chattarpur: किशोर तालाब का मामला गप्प कर जवाब भेजा अतिक्रमणकारियो पर कार्यवाही की गई

छतरपुर विधानसभा में तालाबों के अतिक्रमण मामले में झूठा दर्शन, अतिक्रमण से सिकुड़ते तालाब और 100 प्रतिशत टंच का झूठ

छतरपुर
ऐतिहासिक तालाब अतिक्रमण के कारण अपना वजूद खोते जा रहे है। अधिकारियो को यह अवैध कब्जे दिखाई नहीं देते। जाहिर है नियत में खोट नहीं बल्कि नियत ही खोटी है जिसकी लार को चासनी समझ चाटा जा रहा है और तालाब वेंटीलेटर पर है। छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में तालाबों के अतिक्रमण का मुद्दा छतरपुर विधायक ने विधानसभा में उठाया। विधायक ने पूछा कि उनके विधानसभा में कितने तालाब है? उनका कब कब सीमांकन किया गया? किन किन तालाबों पर अतिक्रमण किया गया और किया जा रहा है? प्रशासन द्वारा कब कब, किन किन अतिक्रमणकारियो पर कार्यवाही की गई, नाम एवं स्थान की जानकारी दे? ऐसे कौन कौन अतिक्रमणकारी है जिनके खिलाफ कोर्ट आदेश के बाद विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं की गई? तालाबों के संरक्षण के लिये विभाग ने 1 जनवरी 2018 से प्रश्न पूछे जाने तक कब कब, क्या क्या कार्यवाही की? रोते बिलखते तालाबों और उनकी लहरों को उन्मुक्त करने के लिये विधायक के प्रश्न तो वरदान थे पर छतरपुर के राजस्व विभाग ने वह झूठ का पुलिंदा जवाब में भेजा जिसने विधानसभा की गरिमा और मर्यादा को भी तार तार कर दिया। साथ ही राजस्व मंत्री को भी झूठा साबित करने में अधिकारियो ने कोई कसर नहीं छोडी। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने विधानसभा में जवाब दिया कि तालाबों के अतिक्रमणकारियो को बेदखली आदेश पारित किये गये। न्यायालय के आदेश बाद कार्यवाही प्रचलन में है। तालाबों का सीमांकन भी किया गया और कब्जेधारियों पर कार्यवाही भी की गई। तालाबों के मामले छतरपुर तहसील का राजस्व विभाग इस तरह ईमान खो बैठा है कि झूठ पर झूठ बोलना आदत में शुमार हो चुका है। छतरपुर शहर के ऐतिहासिक किशोर सागर तालाब का मामला अधिकारियो की बद नियत और भू माफियों की लोरी सुनता नजर आता है। वर्ष 2014 में एनजीटी के आदेश के बाद तालाब के मूल रकवे, भराव क्षेत्र और दस मीटर के ग्रीन जोन से कब्जे नहीं हटाये गये बल्कि अंधाधुंध निर्माण कार्य होते रहे। दो साल पहले एनजीटी ने फिर संज्ञान लिया और छतरपुर जिला जज को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने का दायित्व सौंपा। मामला अपर सत्र न्यायाधीश हिमांशु शर्मा की अदालत में विचाराधीन है। कई आदेश जारी हुए पर अदालत की अवमानना जारी है। यहाँ तक कि तहसीलदार और उनके अधीनस्थ की टीम गुमराह कर अदालत में भी दो बार फर्जी झूठा प्रतिवेदन प्रस्तुत कर चुकी है। मध्यप्रदेश में अदालत, विधानसभा से ऊँचा कद नौकरशाहो का हो चुका है। तभी तो झूठे जवाब, प्रतिवेदन पेश हो रहे। झूठ ठहाके लगा रहा है जिम्मेदार सरकार असहाय सी नजर आ रही है। क्या किसी से छुपा है कि ऐतिहासिक तालाब अतिक्रमण के कारण अपना वजूद खोते जा रहे है, अधिकारियो को यह अवैध कब्जे दिखाई नहीं देते।

IMG 20240218 WA0008
- Advertisement -
For You

आपका विचार ?

Live

How is my site?

This poll is for your feedback that matter to us

  • 75% 3 Vote
  • 25% 1 Vote
  • 0%
  • 0%
4 Votes . Left
Via WP Poll & Voting Contest Maker
Latest news
Live Scores