Home देश thekhabardarnews; ग्रेनेडियर दादा 1967 में हुए शहीद, अब पोते की शहादत:रोहिताश्व को सलाम; दीपावली छोड़ अंतिम यात्रा की तैयारी में जुटा गांव

thekhabardarnews; ग्रेनेडियर दादा 1967 में हुए शहीद, अब पोते की शहादत:रोहिताश्व को सलाम; दीपावली छोड़ अंतिम यात्रा की तैयारी में जुटा गांव

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thekhabardarnews; ग्रेनेडियर दादा 1967 में हुए शहीद, अब पोते की शहादत:रोहिताश्व को सलाम; दीपावली छोड़ अंतिम यात्रा की तैयारी में जुटा गांव

अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में मिलिट्री हेलिकॉप्टर रुद्र शुक्रवार को क्रैश हो गया। इस हादसे का गम 2,660 किलोमीटर दूर राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे के पोसाना गांव के पास खैरवा की ढाणी में नजर आ रहा है। दीपावली की तैयारियां छोड़ अब गांव वाले हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हुए अपने लाल रोहिताश्व खैरवा का पार्थिव शरीर आने का इंतजार कर रहे हैं। रोहिताश्व के परिवार के लिए यह दर्द इसलिए भी बड़ा है क्योंकि रोहिताश्व के दादा ग्रेनेडियर बालाराम ने 1967 में देश के लिए शहादत दी थी।

खैरवा की ढाणी में प्रवेश करते ही गांव के 5 शहीद जवानों की आदमकद प्रतिमाएं नजर आती हैं। इनमें रोहिताश्व के दादा भी शामिल हैं। रोहिताश्व इसी गांव के छठे शहीद हैं। उनके ताऊ दयानंद खैरवा ने बताया कि 1967 में रोहिताश्व के दादा बालाराम खैरवा का अंतिम संस्कार भी यहीं किया गया। उसी जगह भतीजे रोहिताश्व का भी अंतिम संस्कार किया जाएगा। खैरवा परिवार में ये दूसरी शहादत है।

सेना के जवानों ने दोनों पायलट को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को टूटिंग हेडक्वार्टर से 25 किलोमीटर दूर सिंगिंग गांव के पास सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। जहां हादसा हुआ वह एरिया सड़क मार्ग से कनेक्टेड नहीं था। इसलिए मौके तक पहुंचने में सेना को वक्त लगा। रुद्र सेना का अटैक हेलिकॉप्टर है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ( HAL) ने भारतीय सेना के लिए बनाया है। यह हल्के ध्रुव हेलिकॉप्टर का वेपन सिस्टम इंटीग्रेटेड (WSI) Mk-IV संस्करण है।

हेलीकॉप्टर क्रेश हादसे में झुंझुनूं के शहीद नायक ऑपरेटर रोहिताश्व खैरवा की पार्थिव देह आज शाम तक हवाई मार्ग से जयपुर पहुंच सकती है। वहां से रात तक गुढ़ागौड़जी थाने पहुंचेगी। सोमवार सुबह 8.30 बजे गुढ़ागौड़जी से खैरवा ढाणी तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।

सरपंच प्रतिनिधि अमित ढेवा ने बताया कि हादसे के बाद जवान घंटों लापता रहे। दुर्घटना स्थल सड़क से कॉफी दूर होने से सर्च अभियान में समय लगा। शनिवार को रोहिताश्व समेत अन्य जवानों के शव मिले। अमित ढेवा ने सेना सूत्रों के हवाले से बताया कि रविवार की शाम तक पार्थिव देह जयपुर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि शहीद के परिवार को दुर्घटना की जानकारी मिल गई थी, लेकिन शहीद होने की बात उनसे छ़ुपाई जा रही है। वीरांगना सुभिता देवी बार-बार बात कराने के लिए बोल रही हैं, ऐसे में परिवार के लोग जैसे-तैसे उन्हें ढाढस बंधा रहे हैं।

रोहिताश्व अपने गांव के छठे शहीद
पोसाना के निकट खैरवां की ढाणी निवासी रोहिताश्व खैरवा अपने परिवार में दूसरे शहीद हुए हैं। रोहिताश्व के दादा पिरथाराम के सगे भाई बालाराम खैरवा 11 सितंबर 1967 को शहीद हुए थे। बालाराम भारतीय सेना में ग्रेनेडियर थे। वे 27 नवंबर 1962 को भर्ती हुए थे। गांव के बस स्टैंड पर पांच शहीदों की कतार में उनकी मूर्ति लगी हुई है।

गांव में रोहिताश्व छटे शहीद हुए हैं। पोसाना में मोक्ष स्थल के निकट अमर शहीद स्मारक बना हुआ है। जहां शहादत देने वाले शहीद सेडूराम मेचू, शहीद जोधाराम महला, शहीद बोहितराम ढेवा, शहीद बालाराम खैरवा व शहीद धर्मपाल सिंह ढेवा की प्रतिमाएं लगी हैं। जहां दादा का अंतिम संस्कार किया गया था, अब उसी जगह पोते का अंतिम संस्कार किया जाएगा। रोहिताश्व के ताऊ दयानंद खैरवा ने बताया कि बचपन से ही रोहिताश्व अपने दादा की शहादत की कहानियां सुनता था। उसे सेना में जाने का क्रेज था।

शहीद रोहिताश्व खैरवा और उनकी पत्नी सुभिता।

शहीद रोहिताश्व खैरवा और उनकी पत्नी सुभिता।

दीपावली छोड़ अंतिम विदाई की तैयारी में गांव
पोसाना गांव की खैरवा ढाणी में लोग दीपावली पर घरों की सफाई-रंगाई और दीपावली की तैयारियों को छोड़कर शहीद की अंतिम यात्रा की तैयारियों में जुट गए हैं। बस स्टैंड के पास मोक्षधाम पर सफाई करवाई जा रही है। गांव के लोग ही साफ-सफाई में जुटे हैं। रविवार को अमर शहीद स्मारक पर सफाई की गई। अब गांव के लोग पोसाना गांव से खैरवा की ढाणी जाने वाले रास्ते की सफाई कर रहे हैं।

देश पर विपदा आई तो झुंझुनूं आगे रहा
बीजेपी के जिलाध्यक्ष पवन मावड़िया ने कहा कि देश में कहीं भी शहादत होती है तो झुंझुनूं जिले के नाम उससे अछूता नहीं रहता। सीमा और देश की रक्षा में झुंझुनूं जिले के जवान हमेशा आगे रहते हैं। पोसाना गांव के शहीद रोहिताश्व ने वीरगति पाई। वे गांव के छठे शहीद हैं। बस स्टैंड पर ही देश के लिए गांव के जवानों का जज्बा उन प्रतिमाओं में नजर आता है। एक तरफ दुख भी है कि उस परिवार और वीरांगना पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। दूसरी तरफ गर्व भी है कि गांव का लाल देश के लिए शहीद हुआ। रोहिताश्त को शत शत नमन।

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