एंकर:— कुम्हारों के चाक से बने मिट्टी के दीपक इस बार आपके घरों को दीपावली के मौके पर जगमग कर देंगे।इस बार बेहतर कमाई होगी इसकी सोच के साथ धनबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कुम्हार और उसके परिवार के सदस्य जिसमें छोटे छोटे बच्चे भी शामिल हैं उनके द्वारा मिट्टी के दीपक,लक्ष्मी गणेश की छोटी-छोटी मूर्तियां, बच्चों को खेलने के लिए खिलौने एवं गुल्लक बनाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कुम्हारों के चाक से बनने वाले दीपक से घरों को जगमगाने के लिए की गई अपील का असर भी धनबाद में देखने को मिलेगा इस आस में बड़े पैमाने पर मिट्टी के कुम्हारों का परिवार इस कार्य मे जुटा हैं।
वीओ:– बढ़ती महंगाई की वजह से मिट्टी के दाम भी वृद्धि हुई है। झारखंड के कुम्हारों के द्वारा जो मिट्टी इस्तेमाल किया जाता है वह बिहार के गंगा पार से मनाई जाती है समय के साथ इसके मूल्यों में भी वृद्धि होती रहती है यही वजह है कि यहां पर कुम्हार के लिए दीपक आदि मिट्टी की सामग्री का निर्माण करना महंगा पड़ता है।
बाजार में पहुंचने पर यह और भी महंगा हो जाता है। जबकि चाइनीस लाइट – झालर, चीनी मिट्टी से बने दीपक, इन दिनों सरकारी रोक के बावजूद आसानी से बाजारों में उपलब्ध है सस्ता होने के कारण अब आम लोगों ने घरों को सजाने के लिए एवं दीपावली के मौके पर जगमगाने के लिए चाइनीस दीपक एवं झालरों का इस्तेमाल करना बंद नहीं किया है। लेकिन लोकल फॉर वोकल का नारा धीरे-धीरे बुलंद हो रहा है और फिर से लोगों का रुझान मिट्टी के बनाए गए पारंपरिक दीपक और अन्य सामग्री की ओर बढ़ने लगा है।
ऐसे में कुम्हारों की आस जगी है । परिवार के बच्चों को इस पेशे में लाने की कोई मंशा नहीं है क्योंकि अगर उन्होंने पारंपरिक व्यवसाय को अपनाया तो सदैव आर्थिक रूप से पिछड़े रह जाएंगे ।