मध्यप्रदेश में बिना वैधानिक डिग्री के मरीजों का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर दायर जनहित याचिका पर इसी महीने की 18 तारीख को हाईकोर्ट फिर सुनवाई करने वाला है। ये याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) जबलपुर के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पांडे की ओर से दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि ऐसे कथित डॉक्टर खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाना चाहिए।
पिछले साल 15 फरवरी को हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन दिल्ली, मप्र मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।याचिकाकर्ता का कहना है कि तब से लेकर पिछली सुनवाई की तारीख तक सरकार ने जवाब दिया कि इस मामले में कार्रवाई की जा रही है। रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा गया। अब सरकार को एक बार फिर जवाब देना है।
इसी बीच द ख़बरदार न्यूज़ ने राजधानी भोपाल और आसपास के इलाकों में बिना डिग्री के इलाज करने वाले कथित डॉक्टरों की पड़ताल की। मरीज बनकर भास्कर टीम ने इन कथित डॉक्टरों से संपर्क किया तो ये माइनर सर्जरी करने तक को तैयार हो गए। इनका दावा था कि इनके पास हर मर्ज का इलाज है।
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केस 1 : जनरल स्टोर में 10 साल से चल रहा क्लीनिक
राजधानी भोपाल के कोलार रोड से महज 10 किमी दूरी पर है कजलीखेड़ा गांव। भास्कर की टीम ने गांव में डॉक्टर का पता पूछा तो लोगों ने एक दुकान की तरफ इशारा किया। यहां ममता जनरल स्टोर का बोर्ड टंगा था। इसी जनरल स्टोर में चल रहा है शेखर प्रजापति का क्लीनिक। जो पिछले 10 साल से गांव के लोगों का इलाज कर रहे हैं। शेखर प्रजापति के पास कोई डिग्री नहीं है टीम जब क्लीनिक में पहुंची तो यहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इलाज के लिए बैठे थे। प्रजापति एक मरीज का बीपी चेक कर रहे थे। यहां बैठे लोगों से भास्कर रिपोर्टर ने बात की तो पता चला कि प्रजापति बोतल लगाने से लेकर इंजेक्शन लगाने तक की जिम्मेदारी खुद ही संभालते हैं। जब भास्कर रिपोर्टर की बारी आई तो शेखर ने तकलीफ पूछी। रिपोर्टर ने कहा- एक रिश्तेदार है, जिनके शरीर में गठान हो गई है।
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केस 2 : 23 साल पहले ली थी 6 महीने की ट्रेनिंग, तब से कर रहे इलाज
कोलार-कजलीखेड़ा गांव के बीच बने एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में विष्णु जायसवाल क्लीनिक चलाते हैं। भास्कर रिपोर्टर ने जब इनसे मरीज का रिश्तेदार बनकर बात की तो विष्णु ने बताया कि वो 23 साल से क्लीनिक चला रहे हैं। यहां बोतल चढ़ाने से लेकर इंजेक्शन लगाने तक की सभी सुविधा है। मरीज का मर्ज देखकर एलोपैथी दवाइयां भी खुद ही देते हैं। उनसे पूछा कि यदि आप से इलाज नहीं हुआ तो जायसवाल बोले- भोपाल के किसी अच्छे अस्पताल में रेफर कर देंगे। अपना परिचय देते हुए उनसे डिग्री के बारे में पूछा तो वो पूरा बायोडाटा बताने लगे। बोले- मैंने जेपी अस्पताल से साल 2000 में जन स्वास्थ्य रक्षक की 6 माह की ट्रेनिंग ली थी। एम्स से भी ट्रेनिंग ले चुका हूं। एक नर्सिंग होम में भी काम किया है इसलिए बोतल चढ़ाना और इंजेक्शन लगाना आता है। इसके बाद सफाई देते हुए कहा- मैं खुद मरीज को प्रिस्क्रिप्शन नहीं देता। वे किसी एमबीबीएस डॉक्टर से लिखवाकर लाते हैं तो मैं उनका इलाज कर देता हूं।