रीवा के अस्पताल में पहली बार हुई ये सर्जरी:डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत के बाद नाक के ट्यूमर का किया सफल ऑपरेशन

रीवा के अस्पताल में पहली बार हुई ये सर्जरी

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रीवा के संजय गाँधी अस्पताल में नाक के ट्यूमर का जटिल ऑपरेशन किया गया है। मरीज के नाक और आंख के बीच में ट्यूमर होने से उसकी नाक बंद हो गई थी। मरीज की नाक से लगातार खून गिरने की भी समस्या थी। इस बीमारी को निन्जो फ्रेंजीरा एनजीओ फाइ ब्रोमा नाम से जाना जाता है। जिसका ऑपरेशन बड़े शहरों में होता है लेकिन रीवा में पहली बार डॉक्टर असरफ ने अपनी टीम की मदद से दूरबीन पद्धति से मरीज का इलाज करके मरीज कि मुश्किल आसान कर दी।

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17 वर्ष के अनुराग मिश्रा जो कि मुकुंदपुर सतना के रहने वाले हैं। वे लंबे समय से इस बीमारी से ग्रसित थे । जिनकी नाक से लगातार खून गिरता रहता था। जिन्हें रीवा के शासकीय संजय गाँधी अस्पताल में डॉक्टर मोहम्मद अशरफ को दिखाने के बाद ई एन जी विभाग में भर्ती करवाया गया। जांच के बाद पाया गया कि मरीज को गंभीर बीमारी है। जिसमें नाक और आंख के बीच में दोनों तरफ बड़ा ट्यूमर हो गया था। डॉक्टर अशरफ की टीम ने तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लिया और दूरबीन के द्वारा एक घंटे से भी कम समय में जटिल ऑपरेशन को सफलता से किया। ऑपरेशन बड़ा था इसलिए मरीज को इस दौरान दो यूनिट खून की जरूरत भी पड़ी। सर्जरी के बाद अब मरीज की हालत ठीक है। इस प्रकार का ये पहला ऑपरेशन रीवा में किया गया है। सर्जरी के दौरान काफी खून बहने और जान जाने का भी खतरा था। इस पूरी सर्जरी में डॉक्टर मोहम्मद अशरफ के नेतृत्व में डॉक्टर यासमीन सिद्दीकी ,डॉक्टर शुभम ,डॉक्टर विनीत ,डॉक्टर आभिषेक ,डॉक्टर अनिल ,डॉक्टर हरीश ,डॉक्टर कपिल ,डॉक्टर रवि ,डॉक्टर बाला ,डॉक्टर प्रणय शामिल रहे।

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पूरे सम्बन्ध में डॉक्टर असरफ ने बताया कि ये ऑपरेशन नायाब था। जिसे हमने दूरबीन की मदद से किया है । जिसमें सबसे अच्छी बात रही कि बिना कोई चीरा लगाए ही पूरी सर्जरी की गई है।अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है जिसे अब घर भेजने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि मरीज पहले कई जगहों से निराश होकर हमारे पास इलाज कराने आया था। मरीज इसके पहले जबलपुर और नागपुर में भी दिखा चुका था। सबसे बड़ी बात है कि मरीज गरीब घर से ताल्लुक रखता है जो कि किसी निजी अस्पताल में लाखों रूपए खर्च करके सर्जरी नही करवा सकता था। डॉक्टर ने बताया कि अगर यही सर्जरी किसी निजी अस्पताल में की जाती तो कम से कम 2 से 3 लाख रूपए खर्च हो जाते। इसलिए मैं अपनी पूरी टीम को भी धन्यवाद करता हूँ जिनकी वजह से ये सब संभव हो पाया ।

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