वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिले ‘कथित शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी संरचना की उम्र, लंबाई और चौड़ाई का पता लगाने के लिए इस वैज्ञानिक जांच की मांग की थी। जांच के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को आदेश देने की अपील की गई थी। अदालत ने यह मांग खारिज कर दी।
शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई के दौरान कुल 58 लोगों को एंट्री दी गई दी। इनमें वकीलों के साथ हिंदू और मुस्लिम पक्ष से जुड़े लोग शामिल थे। पहले की तरह आज भी याचिका लगाने वाली महिलाओं में से राखी सिंह कोर्ट में नहीं मौजूद रहीं। बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी सुनवाई के दौरान मौजूद थीं।
इस मामले में क्या-कुछ हुआ, इसे जानने से पहले कार्बन डेटिंग को समझ लेते हैं…
मसाजिद कमेटी ने कहा था- जांच की जरूरत नहीं
इस मामले में ज्ञानवापी मसाजिद कमेटी ने कहा था- कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है। हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की है। फिर यह शिवलिंग की जांच की मांग क्यों कर रहे हैं…? हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में कमीशन की ओर से सबूत इकट्ठा करने की मांग कर रहा है। सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
कमेटी ने दलील दी थी कि 16 मई, 2022 को एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान मिली आकृति पर असमंजस है। उससे संबंधित आपत्ति का निपटारा भी नहीं हुआ है। 17 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी आकृति मिलने वाली जगह को सुरक्षित रखने के लिए कहा है। ऐसे में वहां खुदाई या अलग से कुछ भी करना उचित नहीं होगा।
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई के लिए याचिका लगाने वाली महिलाएं अपने वकीलों के साथ जिला कोर्ट गई थीं।
हिंदू पक्ष की दलील- जांच से विवाद खत्म होगा
इस मामले में याचिका लगाने वाली महिलाओं का कहना था कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी। ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है। ऐसे में उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच जरूरी है।
हिंदू पक्ष ने कहा था कि कार्बन डेटिंग से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा। बीती 11 अक्टूबर को दोनों पक्ष की बहस खत्म हुई तो कोर्ट ने अपना ऑर्डर सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की थी।
ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में चल रही है।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एडवोकेट कमिश्रर के सर्वे के दौरान मिली आकृति की जांच हिंदू पक्ष की वादिनी महिलाएं कराना चाहती हैं।
साल भर पहले दाखिल हुआ था केस
अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।
यह हिंदू पक्ष की वादिनी चार महिलाएं वाराणसी की हैं। कोर्ट में इनके पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य हैं। अब हिंदू पक्ष की वादिनी महिलाएं दो धड़ में बंट गई है।
पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए इंतजाम किए जाएं। कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। उसके बाद ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई थी।
यह हिंदू पक्ष की एक अन्य वादिनी नई दिल्ली की राखी सिंह हैं। कोर्ट में इनके पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन हैं।
इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।