भारत के 75वें रिपब्लिक डे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को चीफ गेस्ट का न्योता भेजा गया है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आने में असमर्थता जताई थी। अगर मैक्रों शामिल होते हैं तो वे रिपब्लिक डे परेड की शोभा बढ़ाने वाले छठे फ्रांसीसी राष्ट्रपति होंगे।
भारत में रिपब्लिक डे पर विदेशी चीफ गेस्ट की पुरानी परंपरा रही है। दो बार पाकिस्तान के नेता भी परेड के मुख्य अतिथि बन चुके हैं। जनवरी 1965 में पाक के एग्रीकल्चर मिनिस्टर राणा अब्दुल हामिद हमारे मेहमान थे और 3 महीने बाद अप्रैल में पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ गई थी।
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जुलाई 1998 में भारत ने परमाणु ताकत बनने की ठानी और न्यूक्लियर टेस्ट किए तो सभी पश्चिमी देशों ने इस पर आपत्ति जताई। अमेरिका ने भारत पर कई तरह की पाबंदियां लगाई थीं। तब फ्रांस के राष्ट्रपति जैक शिराक ने भारत का समर्थन किया था।पश्चिमी देशों के उलट जाकर फ्रांस ने भारत को न्यूक्लियर प्लांट लगाने में मदद की। रूस के बाद फ्रांस इकलौता ऐसा देश है जिसने भारत की न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने में मदद की। इस प्लांट को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अभी जारी है। महाराष्ट्र के जैतपुर में लगा परमाणु प्लांट फ्रांस की मदद से ही मुमकिन हो पाया।
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रिपब्लिक डे परेड का चीफ गेस्ट चुनने के लिए 6 महीने पहले से तैयारी
गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट चुनने की प्रक्रिया रिपब्लिक डे से छह महीने पहले शुरू की जाती है। विदेश मंत्रालय के बड़े अधिकारी अलग-अलग नामों पर चर्चा करते हैं।
इस दौरान कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। मसलन- जिस देश का चीफ गेस्ट होगा उससे भारत के रिश्ते कैसे हैं। इसके बाद पॉलिटिकल, इकोनॉमिक, कॉमर्शियल, सैन्य सहयोग और अन्य विषयों पर चर्चा होती है।
इस साल 20 सितंबर 2023 को भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट बनने का निमंत्रण दिया था। इसकी जानकारी अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने दी थी। हालांकि 12 दिसंबर को जब बाइडेन के ऑफिस ने उनके नहीं आने की जानकारी दी, तब इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति को जल्दबाजी में न्योता भेजा गया।
चीफ गेस्ट बुलाने का प्रोसेस ये है कि जब किसी एक देश को लेकर मीटिंग में शामिल सभी विशेषज्ञ सहमत हो जाते हैं तो उस देश का नाम प्रधानमंत्री को भेजा जाता है। PM अपने सलाहकारों के साथ राय-मशविरा करने के बाद फाइल आगे राष्ट्रपति भवन में बढ़ा देते हैं।
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