गुजरात में भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की सुनामी के अलावा अगर कोई बड़ा कारण है तो वह है पूरे चुनाव को बाहरी बनाम भीतरी करने की भाजपा की कामयाब रणनीति। साथ ही भाजपा ने गुजरात मॉडल के रूप में हिंदुत्व और विकास का ऐसा पैकेज लोगों को दिया कि वोट देने वाले आधे से अधिक लोगों ने सिर्फ कमल का बटन ही दबाया।
AAP ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की बजाय सीधे कांग्रेस के वोट को दो-फाड़ कर दिया। इस कारण भाजपा ने गुजरात में सीट और वोट दोनों का एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिया।
आइए, इस रिजल्ट से उठने वाले 8 सवालों के जरिए समझते हैं गुजरात चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के क्या कारण रहे। साथ ही भविष्य की राजनीति को ये चुनाव कितना और कैसे प्रभावित करेगा?
1. भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत का सबसे बड़ा कारण क्या है?
मोदी की लहर नहीं, सुनामी। इसका मुख्य कारण रहा लोगों में बाहरी बनाम भीतरी का मुद्दा। कांग्रेस कोई लोकल चेहरा नहीं खड़ा कर पाई और AAP अरविंद केजरीवाल के फेस पर ही गुजरात गई। इसीलिए पिछली बार से कम वोटिंग के बावजूद भाजपा को ऐतिहासिक वोट (52.5%) और सीट (156) मिले।
2. क्या मोदी के दम पर इतनी बड़ी जीत संभव है?
2014 में मोदी पीएम बने। गुजराती आज भी मानते हैं कि मोदी गुजरात में ही हैं। उन्हें वह अपने प्राइड से जोड़कर देखता है। गुजरातियों को लगता है कि मोदी ने गुजरात आकर कह दिया है तो अब इसके बाद किसी की बात सुनने की जरूरत नहीं। इस बार मोदी ने अहमदाबाद में सबसे लंबा 54 किलोमीटर का रोड शो, तीन और रोड शो, साथ ही 31 सभाएं कीं। 95% इलाकों में बीजेपी को जीत मिली है, लेकिन ये कहना गलत होगा कि ये सिर्फ मोदी के दम पर है।
3. फिर भाजपा की सबसे बड़ी रणनीति क्या रही?
हिंदुत्व और विकास का पैकेज। सभी जानते हैं कि हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात से शुरू हुई थी। 2002 के गोधरा दंगों के बाद भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर 127 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। फिर 2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट की शुरुआत की। विकास का नया गुजरात मॉडल बनाया। फिर राम मंदिर, तीन तलाक और धारा 370 का खात्मा।
4. गुजरात में AAP का दिल्ली मॉडल क्यों नहीं चला?
बिजली बिल माफ, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और मुफ्त अच्छी शिक्षा AAP के दिल्ली मॉडल का मुख्य हिस्सा है। गुजरातियों को भाजपा ये समझाने में कामयाब रही कि मुफ्त का कुछ भी नहीं चाहिए। फिर भाजपा ने दिल्ली मॉडल के मुकाबले गुजरात मॉडल की वकालत की और उसे गुजरात प्राइड से जोड़ दिया। यानी गुजरात मॉडल को गुजरातियों का मॉडल बना दिया।
5. क्या AAP की पूरी रणनीति फेल हो गई?
नहीं, ऐसा नहीं है। AAP की रणनीति का एक मुख्य हिस्सा था कि गुजरात में चुनाव के जरिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना। करीब 13% वोट मिलने के साथ उसे ये दर्जा मिल जाएगा।
6. AAP के लड़ने से किसे फायदा-नुकसान हुआ?
2017 में कांग्रेस का वोट शेयर 41% था, जो घटकर 28% रह गया है। उसके 13% वोट कम हो गए। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को 13% वोट ही मिले हैं। पहली नजर में स्पष्ट होता है कि भाजपा के खिलाफ वाले 41% वोट ही दो भागों में बंट गए।
7. अगर AAP नहीं आती तो भाजपा की सरकार नहीं बनती?
ऐसा भी नहीं है। भाजपा को ऐतिहासिक 53% वोट मिले हैं। ऐसे में सारे विपक्षी वोट किसी एक पार्टी को भी मिलते तो भी भाजपा को सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं होती। हां, वोट शेयर और सीट में कमी जरूर आती। 2017 में भाजपा का वोट शेयर 49% था, जो बढ़कर 53% हो गया है।
8. कांग्रेस ने सबसे बड़ी चूक क्या की?
कांग्रेस ने पहले दिन से ही यह रणनीति अपना ली थी कि गांधी परिवार के सदस्य गुजरात के चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे। राहुल ने भी एक दिन में सिर्फ दो सभाएं ही कीं। स्थानीय नेता और लोकल लेवल का प्रचार कांग्रेस की रणनीति थी, लेकिन ये पूरी तरह गलत साबित हुई। इससे ग्रामीण इलाकों में भी कांग्रेस बुरी तरह हारी, जो उसका गढ़ माना जाता था।
आखिर में: गुजरात चुनाव से देश की राजनीति पर क्या असर?
गुजरात में 27 साल से भाजपा की सरकार है। एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए चुनाव से एक साल पहले मुख्यमंत्री और सारे मंत्रियों को बदल दिया गया। इसका असर रिजल्ट में ऐतिहासिक जीत के रूप में दिखा। ऐसे में अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव समेत भाजपा शासित राज्यों में ये प्रयोग देखने को मिल सकता है। साथ ही मोदी-शाह की जोड़ी पर देश और भाजपा का विश्वास और बढ़ा है। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने एजेंडे पर तेजी से बढ़ेगी।