प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (16 अगस्त) को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ (PM Vishwakarma Scheme) को मंजूरी दे दी गई. पांच साल की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत वाली इस योजना से बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई समेत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लगभग 30 लाख परिवारों को लाभ होगा.
पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया. मंगलवार (15 अगस्त) को पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर इस योजना को लॉन्च किया जाएगा.
विश्कर्मा योजना से क्या होगा लाभ?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को ‘पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र’ और आईडी कार्ड के माध्यम से पहचान प्रदान की जाएगी. योजना के तहत उन लोगों को 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.
एक आधिकारिक बयान बताया गया कि कारीगरों और शिल्पकारों को स्किल अपग्रेडेशन (कौशल उन्नयन), टूल किट इंसेंटिव (प्रोत्साहन), डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और मार्केटिंग सपोर्ट भी प्रदान किया जाएगा.
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी ये जानकारी
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट फैसलों पर मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि योजना के तहत दो प्रकार के स्किल कार्यक्रम होंगे- बेसिक और एडवांस्ड. स्किल ट्रेनिंग के दौरान लाभार्थियों को प्रति दिन 500 रुपये का स्टाइपेंड (वजीफा) भी प्रदान किया जाएगा. मंत्री ने बताया कि लाभार्थियों को आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपये तक की सहायता भी मिलेगी.
पांच वर्षों में 30 लाख परिवारों को किया जाएगा कवर
उन्होंने बताया कि पहले वर्ष में पांच लाख परिवारों को कवर किया जाएगा और वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2028 तक पांच वर्षों में कुल 30 लाख परिवारों को कवर किया जाएगा. बयान में कहा गया है कि विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों के पारंपरिक कौशल की ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ या परिवार-आधारित प्रैक्टिस को मजबूत और पोषित करना है.
योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना भी है. यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि विश्वकर्मा (योजना के लाभार्थी) घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ इंटीग्रेटेड (एकीकृत) हों.
शुरू में इन पारंपरिक व्यापारों को किया जाएगा कवर
रिपोर्ट के मुताबिक, शुरू में जिन पारंपरिक व्यापारों को कवर किया जाएगा उनमें बढ़ई, नाव बनाने वाले, शस्त्र बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा और टूल किट बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी-चटाई-झाड़ू बनाने वाले-कॉयर वीवर, पारंपरिक तौर पर गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं.