दिल्ली की गलियों में एक नई शुरुआत की आहट है… एक ऐसी शुरुआत जो राजधानी के आम नागरिकों, खासकर महिलाओं की रोज़मर्रा की यात्रा को न सिर्फ सुगम बनाएगी, बल्कि एक नई सोच और तकनीक का प्रतीक भी बनेगी। लेकिन सवाल यह है—क्या यह सिर्फ एक विकास योजना है, या फिर चुनावी जमीन मजबूत करने की रणनीति? राजधानी में जल्द शुरू होने वाली ‘देवी बस सेवा’ पर नज़र डालें तो तकनीक, सुविधा और सामाजिक समावेश का अद्भुत मेल नजर आता है।
22 अप्रैल से दिल्ली सरकार Delhi Electric Vehicle Interchange (DEVI) के बैनर तले ‘देवी’ मोहल्ला इलेक्ट्रिक बस सेवा की शुरुआत करने जा रही है। परिवहन विभाग के अनुसार, पहले चरण में 255 नौ मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर दौड़ेंगी। इनका उद्देश्य है—बड़े बसों की पहुंच से दूर इलाकों को मुख्य मार्गों और मेट्रो स्टेशनों से जोड़ना। खास बात यह है कि इन बसों को मोहल्लों की तंग गलियों और आंतरिक सड़कों के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे लोगों को अंतिम मील कनेक्टिविटी का समाधान मिल सके।
इन अत्याधुनिक बसों की सबसे बड़ी खासियत है इनकी ऊर्जा क्षमता और डिजाइन में सामाजिक समावेश की सोच। एक बार 45 मिनट की चार्जिंग पर यह बसें 200 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकेंगी। हर बस में 23 सीटें होंगी, जिनमें से 6 सीटें सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसके अलावा, 13 यात्रियों के खड़े होकर सफर करने की जगह भी रहेगी। महिलाओं को यह सुविधा पूर्णतया मुफ्त मिलेगी—’पिंक टिकट’ के माध्यम से। यह केवल ट्रांसपोर्ट नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है।
जहां तक किराए की बात है, इसे आम लोगों की पहुंच में रखा गया है। टिकट दरें ₹10, ₹15, ₹20 और अधिकतम ₹25 तक होंगी। फिलहाल ये बसें गाजीपुर, नांगलोई और ईस्ट विनोद नगर डिपो से चलेंगी और कम से कम 12 किलोमीटर के रूट तय करेंगी। एक डिपो पर औसतन 100 बसों के खड़े होने की संभावना है। परिवहन विभाग का कहना है कि ये बसें DTC के प्रमुख रूट्स के साथ-साथ मेट्रो स्टेशन तक यात्रियों को पहुंचाने का काम करेंगी—फीडर बस के तौर पर।
हालांकि, इस सेवा की शुरुआत को लेकर राजनीति भी गरमाने लगी है। विपक्ष का आरोप है कि यह चुनावी साल में महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है। दूसरी ओर, आम जनता के लिए यह एक राहतभरी खबर है, खासकर तब, जब दिल्ली की भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम में एक सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण-मित्र परिवहन की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। क्या ‘देवी’ बस सेवा सच में जनता की सेवा बनेगी या एक और राजनीतिक स्टंट? इसका जवाब भविष्य के यात्रियों की प्रतिक्रिया और इस योजना के धरातल पर सफल कार्यान्वयन से ही मिलेगा।






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