मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी भले ही समाप्त हो चुकी हो, लेकिन जबलपुर जिले में अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन द्वारा पहले भी इस घोटाले पर कार्रवाई की गई थी, जब कलेक्टर दीपक सक्सेना ने फर्जी धान खरीदी के मामले में 22 कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करवाई थी। लेकिन अब बीजेपी विधायक अजय विश्नोई की शिकायत ने इस घोटाले को और बड़ा रूप दे दिया है। उनकी शिकायत के बाद प्रशासन और सरकार में हड़कंप मच गया है।
बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की गंभीरता से जांच की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जिले के बाहर के राइस मिलर्स, जो सरकार से अनुबंधित थे, उन्होंने धान का उठाव ही नहीं किया। इसके बजाय, नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और धान खरीदी केंद्र प्रभारियों के साथ मिलकर फर्जी रिलीज ऑर्डर (RO) बनाए गए, जिससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। इस शिकायत के आधार पर जब चार सदस्यीय टीम ने जांच की, तो ऐसे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिससे प्रशासन की पोल खुल गई।
जांच में पाया गया कि जिले के बाहर 17 राइस मिलर्स को धान उठाव और प्रोसेसिंग की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें खरीदी केंद्रों से धान उठाकर अपनी मिल में प्रोसेस करना था और फिर चावल को नागरिक आपूर्ति निगम में जमा कराना था। लेकिन, मिलर्स ने अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी RO तो बनवा लिए, लेकिन धान का उठाव ही नहीं किया। खरीदी केंद्र प्रभारियों ने भी इस गड़बड़ी में साथ देते हुए कागजों में हेरफेर कर स्टॉक को संतुलित दिखा दिया।
जांच टीम ने जब टोल नाकों से उन ट्रकों की जानकारी मांगी, जिनसे धान का परिवहन किया गया था, तो मामला और ज्यादा संदिग्ध हो गया। रिकॉर्ड के अनुसार, जिन ट्रक नंबरों से धान की ढुलाई होनी थी, वे टोल नाकों से गुजरे ही नहीं। बल्कि बस, कार और टेंपो जैसी वाहनों के फर्जी नंबरों का इस्तेमाल किया गया, जो कि व्यावहारिक रूप से असंभव है। जांच अधिकारियों ने आशंका जताई है कि इस घोटाले में शामिल मिलर्स ने खुले बाजार में धान बेच दिया और नागरिक आपूर्ति निगम में दूसरे राज्यों से सस्ती, घटिया गुणवत्ता की धान जमा करवा दी।
इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी नाराजगी जाहिर की है, और विधानसभा में खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जबलपुर में करोड़ों रुपए के धान घोटाले की बात स्वीकार की। अजय विश्नोई की शिकायत के बाद सामने आए इस 30 करोड़ से अधिक के फर्जी RO घोटाले ने सरकार और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?