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समाजिक संदेश

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समाजिक संदेश

एक बार गौतम बुद्ध शिष्यों के साथ यात्रा पर जा रहे थे जब वे आधे रास्ते में वीरान जगह पर रुके तो देखा कि वहां सैकड़ों गढ्ढे खुदे हुए थे और करीब जा कर देखा तो उनमें एक छोड़ कर सभी में शव पड़े हुए थे और एक मे सिर्फ पानी भरा हुआ था शव नहीं मिला तो शिष्यों ने यह घटना गौतम बुद्ध को जानकारी दी और कहा कि सभी में शव है पानी नहीं एक में पानी है शव नहीं इसका क्या कारण है तब गौतम बुद्ध ने कहा कि जिन गढ्ढों में शव है यह मूर्ख और घमंडी थे यह अकेले कुआं खोदने चलें थें और कुआं खुदा नहीं और प्यास बुझाने के पहले ही दम तोड दिया और जिस कुआं में पानी है शव नहीं वह कई लोगों ने मिलकर कुआं खोदा और पानी निकल कर प्यास बुझाई और आगे बढ़ गये

अर्थ
आज सभी समाजों की हकीकत जो समाज समझदार है वह सभी को मिला कर राज्य कर रही है और वैश्य, शूद्र, अपनी अपनी जातियों की 7 हजार दुकान चला रहे हैं ये सभी अपने कोअच्छा और दूसरे को कमजोर समझ कर एक दूसरे से भिड़ते रहते हैं और इसीलिए सभी पीछे है और जो एक हो कर काम किया वह आगे है संदेश अच्छा लगे तो बिखरे हुए बन्धुओं को शेयर करे ताकि वह भी जागरूक हो सकें और आगे बढ़ सकें

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