“संघर्ष के बीच सफलता: मादा चीता आशा ने कुनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों को जन्म दिया”

मादा चीता आशा ने कुनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों को जन्म दिया

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श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में एक सुखद घटनाक्रम में, मादा चीता आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया है, जो भारत के संरक्षण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पिछले साल, एक अन्य मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया, जिनमें से केवल एक ही जीवित बचा। जीवित शावक, जो अब नौ महीने का है, को शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि उसकी माँ ने इसे स्वीकार नहीं किया। दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में, शावक की सावधानीपूर्वक देखभाल की गई और उसे एक वर्ष की उम्र में शिकार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कहानी 75 वर्षों में जन्मी भारत की पहली मादा चीता की विजय और परीक्षण को दर्शाती है।

ऐसे में भारत की धरती पर 75 साल बाद पैदा हुई पहली मादा चीता शावक को 9 महीने तक इंसानों ने ही पाला है। अब इसी साल मार्च में एक साल के होने पर इसे साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों की सलाह पर शिकार करना सिखाया जाएगा। इस रिपोर्ट में पढ़िए भारत में पैदा हुई सबसे पहली मादा चीता के संघर्ष की कहानी..

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दो महीने की थी तब इलाज के लिए लाया
नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने 23 मार्च को बड़े बाड़े में चार शावकों को जन्म दिया था। दो महीने बाद 23 मई को चार में से एक शावक की मौत हो गई। तीसरे दिन यानी 25 मई को दो और शावक चल बसे। तीनों की मौत की वजह हीट स्ट्रोक और ज्यादा गर्मी को बताया गया। अब केवल एक शावक जिंदा बचा था। वह भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं था। उसने मां का दूध पीना छोड़ दिया था रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो चुकी थी। उसे इलाज की जरूरत थी।

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वन अधिकारी इस मादा शावक को उपचार के लिए लेकर आए तो ये गंभीर कुपोषण से जूझ रही थी। गर्मी से बचाने के लिए उसे एसी कमरे में शिफ्ट किया और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बकरी का दूध पिलाया गया । उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव के मुताबिक बिल्ली प्रजाति के जानवरों को कम लेक्टोज की मात्रा वाला दूध दिया जाता है ताकि वे उसे पचा सके। मादा शावक को कौन सा दूध दिया जाए इसके लिए चीता स्टेयरिंग कमेटी के सदस्यों ने साउथ अफ्रीका और नामीबिया के एक्सपर्ट्स से सलाह ली। उन्होंने एक पैक्ड दूध के बारे में बताया, जो बिल्ली के बच्चों को दिया जाता है। दिल्ली में एक स्टोर को ऑर्डर देकर ये पैक्ड दूध बुलाया गया।

कब-कैसे हुई ​चीतों की मौत…

26 मार्च 2023: साशा की किडनी इंफेक्शन से मौत
नामीबिया से लाई गई 4 साल की मादा चीता साशा की किडनी इंफेक्शन से मौत हो गई। वन विभाग ने बताया कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था। इससे ये पुष्टि होती है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में लाने से पहले ही थी। साशा की मौत के बाद चीतों की संख्या घटकर 19 रह गई।

23 अप्रैल 2023: उदय की दिल के दौरे से मौत
साउथ अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की मौत हो गई। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया कि उदय की मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने से हुई। मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान ने बताया कि हृदय धमनी में रक्त संचार रुकने के कारण चीते की मौत हुई। यह भी एक प्रकार का हार्ट अटैक है। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 22 रह गई।

9 मई 2023: दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत
दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था। जेएस चौहान ने बताया कि मेल चीते को दक्षा के बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था। मेटिंग के दौरान ही दोनों में हिंसक इंटरेक्शन हो गया। मेल चीते ने पंजा मारकर दक्षा को घायल कर दिया था। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 21 रह गई।

23 मई 2023: ज्वाला के एक शावक की मौत
मादा चीते ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई। जेएस चौहान ने बताया कि ये शावक जंगली परिस्थितियों में रह रहे थे। 23 मई को श्योपुर में भीषण गर्मी थी। तापमान 46-47 डिग्री सेल्सियस था। दिनभर गर्म हवा और लू चलती रही। ऐसे में ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी इनकी मौत की वजह हो सकती है। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 20 रह गई।

25 मई 2023: ज्वाला के दो और शावकों की मौत
पहले शावक की मौत के बाद तीन अन्य को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया था। इनमें से दो और शावकों की मौत हो गई। अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होने की बात सामने आई थी। इसके बाद कूनो में एक शावक सहित 18 चीते बचे।

11 जुलाई 2023: मेल चीता तेजस की मौत
चीते तेजस की गर्दन पर घाव था, जिसे देखकर अनुमान लगाया गया कि चीतों के आपसी संघर्ष में उसकी जान गई है।

14 जुलाई 2023: मेल चीता सूरज की मौत
चीते सूरज की गर्दन पर भी घाव मिला। कूनो प्रबंधन का अनुमान है कि चीतों के आपसी संघर्ष में ही सूरज की जान गई है।

2 अगस्त 2023: मादा चीता धात्री की मौत
​​​​​​​​​​​​​​कूनो परिसर में ही मादा चीता धात्री का शव मिला था। पोस्टमॉर्टम में इंफेक्शन से मौत की वजह सामने आई थी।

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