जबलपुर से लोकसभा सांसद राकेश सिंह को अब जबलपुर पश्चिम विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के उम्मीदवार के रूप में उम्मीदवारी मिली है। इस पश्चिम विधानसभा सीट पर, भा.ज.पा. ने पिछले दो बारों से चुनाव हारा है, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार तरुण भनोत ने दो बार भाजपा के विधायक हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को हराया है।
राकेश सिंह का राजनीतिक सफर 2004 में शुरू हुआ, जब वे जबलपुर जिले के ग्रामीण अध्यक्ष रहे थे। उस समय, वे तत्कालीन महापौर विश्वनाथ दुबे के खिलाफ लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार बने थे। कांग्रेस ने विश्वनाथ दुबे को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन इस चुनाव में राकेश सिंह ने विश्वनाथ दुबे को एक लाख से अधिक वोटों से हराया और लोकसभा सीट जीती।
2009 में, राकेश सिंह को फिर से भा.ज.पा. ने लोकसभा की टिकट दी और कांग्रेस ने उनके खिलाफ रामेश्वर निखरा को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी राकेश सिंह ने रामेश्वर निखरा को 106,000 वोटों से हराया और भा.ज.पा. ने विजय प्राप्त की।
2014 में, राकेश सिंह को तीसरी बार लोकसभा की टिकट मिली, जबकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ अपने नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तंखा को चुनाव में उतारा। फिर भी, राकेश सिंह ने कांग्रेस को बार-बार हराया और विवेक तंखा को 210,000 वोटों से हराया।
2019 में, राकेश सिंह चौथी बार भा.ज.पा. के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए उम्मीदवारी मिली। इस बार भी कांग्रेस ने उनके खिलाफ विवेक तनखा को उम्मीदवार बनाया, लेकिन राकेश सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस को परास्त किया और 826,000 वोटों से विजयी रहे। इससे विवेक तंखा ने लगभग 450,000 वोटों से हार माननी पड़ी।
राकेश सिंह वर्तमान में लोकसभा में मुख्य सचेतक के पद पर हैं। यह सत्य है कि वे जबलपुर की राजनीति में भा.ज.पा. का चमकता सितारा हैं, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में हारने का दुख उनके ऊपर आया। वे 2019 में मध्य प्रदेश के भा.ज.पा. के प्रदेश अध्यक्ष भी बने थे, लेकिन प्रदेश के चुनाव में भा.ज.पा. की हार हुई थी।
राकेश सिंह का राजनीतिक सफर हमें यह सिखाता है कि नेता की मेहनत, प्रतिबद्धता और जनसेवा की भावना कितना महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने जनता के साथ संवाद करने और उनके समर्थन को जीतने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने चुनावी प्रचार को सफल बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि सामाजिक मीडिया का सही उपयोग, संख्यात्मक डेटा का अध्ययन, और समर्थकों के साथ जुड़ना।
इन कदमों के माध्यम से वे जनता के बीच अपने उम्मीदवार के समर्थन को बढ़ा रहे हैं और उनके चुनावी प्रचार को सफल बना रहे हैं। इसके साथ ही, संख्यात्मक डेटा का महत्व भी समझाया गया है और इसका उपयोग चुनाव प्रचार की रणनीति में किया जा रहा है।
राकेश सिंह की टीम का यह प्रयास सामर्थ्य, प्रतिबद्धता, और सेवा की मिसाल को प्रस्तुत कर रहा है और वे जनता को उम्मीदवार के समर्थन को जीतने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके माध्यम से वे उम्मीदवार के साथ जनता के समर्थन को जीतने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और उम्मीदवार के चुनावी प्रचार को सफल बना रहे हैं।