Home टेक्नोलॉजी लड़की छत से गिरी, हार्टअटैक से दिल में तीन छेद:जबलपुर में डॉक्टर बोले-13 साल में ऐसा केस नहीं देखा

लड़की छत से गिरी, हार्टअटैक से दिल में तीन छेद:जबलपुर में डॉक्टर बोले-13 साल में ऐसा केस नहीं देखा

0
लड़की छत से गिरी, हार्टअटैक से दिल में तीन छेद:जबलपुर में डॉक्टर बोले-13 साल में ऐसा केस नहीं देखा

जबलपुर में 16 साल की लड़की छत से गिरी और उसे दिल का दौरा पड़ा। सांस लेने में तकलीफ के बाद जांच में पता चला कि उसके दिल में तीन छेद हैं। डॉक्टरों की टीम ने दो से ढाई घंटे की सर्जरी के बाद छल्लेनुमा डिवाइस डालकर छेद बंद किया। घटना 14 सितंबर की है। 6 दिन बाद उसे सोमवार को डिस्चार्ज किया गया। सर्जरी करने वाले डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने अपने कॅरियर में देश में ऐसा केस न सुना है न ही देखा। यह बहुत ही जटिल ऑपरेशन था।

सीने के बल गिरी, धमनियां फट गई
सतना जिले बंधइया टोला गांव की रहने वाली 16 साल की किशोरी 14 सितंबर को काम करते समय छत से सीने के बल नीचे गिर गई थी। परिवारवाले इलाज के लिए जिला अस्पताल कटनी लेकर पहुंचे थे। यहां से डॉक्टरों ने जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। हालत में सुधार नहीं होने पर पिता उसे मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों की टीम ने जांच की तो दिल में तीन छेद नजर आए। अचानक छत से गिरने से उसकी धमनी फट गई थी। लड़की नाजुक हालत को देखकर डॉक्टरों ने रात में ही उसका ऑपरेशन किया।

अगले दिन चलने लगी लड़की
सर्जरी के दौरान किसी भी प्रकार से चीर-फाड़ नहीं की गई, जिससे ऑपरेट करने में दो से ढाई घंटे का समय लगा। इस दौरान लड़की को बेहोश भी नहीं किया गया था। सर्जरी के अगले दिन बच्ची चलने-फिरने लगी। उसकी अब सांस फूलने की समस्या खत्म हो गई है। वह आम इंसानों की तरह जिंदगी जी सकती है। यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया है।
अटैक के साथ दिल में छेद होना रेयर मामला
सर्जरी करने वाले कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केएल उमा महेश्वर की माने तो यह बहुत ही रेयर केस था। 13 साल के कॅरियर में उन्होंने अपने देश में तो इस प्रकार का मामला नहीं देखा है। छत से सीने के बल गिरने पर हॉर्ट अटैक आना तो सुना है, पर हॉर्ट अटैक के साथ दिल में तीन-तीन छेद होना, यह नहीं सुना। 16 साल की बच्ची के साथ इतने सारे एक साथ हादसे होना यह बहुत ही चौंकाने वाला है।


एंजियोग्राफी मैथड से की सर्जरी
डॉक्टर की माने तो हार्ट के पिछले हिस्से में तीन छेद होने से सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। बच्ची की हालत को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी कर हम उसे खतरे में नहीं डालना चाहते थे। मैंने अस्पताल प्रबंधन के साथ कार्डियक सर्जन डॉक्टर सुधीर चौधरी और एनएसथीसियोलॉजिस्ट सुनील जैन से बात की। टीम ने डिसाइड किया कि एंजियोग्राफी मैथड से तीनों छेद को बंद करेंगे। इसके बाद छतरीनुमा डिवाइस का उपयोग किया गया। यह एक प्रकार का छल्ला होता है। छेद के दोनों ओर डिवाइस को रखकर छतरीनुमा छल्ले को खोल दिया गया, जिससे छेद वाला हिस्सा बंद हो गया।


डीडी रिपोर्ट द खबरदार न्यूज

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here