आमतौर पर ऐसा नहीं होता कि हर्रा लगे ना फिटकरी और रंग भी चोखा आए। यह कहावत उन लोगों के लिए बनाई गई जो बिना कोई मेहनत किये सबकुछ पा लेना चाहते हैं लेकिन रीवा की रहने वाली हर्षिका सिंह ने मंडला कलेक्टर के रूप अपने उत्कृष्ट कार्य से इस कहावत को अक्षरश: सही साबित कर दिखाया है। इसके लिए उन्हें नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी के हाथों सम्मानित किया गया है। हर्षिका सिंह ने जब मंडला कलेक्टर के रूप दो माह पूर्व कार्यभार संभाला था तो मंडला की 58 प्रतिशत आबादी निरक्षर थी। उन्होंने इस चेलेंज के रूप में स्वीकार करते हुए अपने विवेक कौशल से सबको साक्षर करने का चमत्कार कर दिखाया।सरकार का एक धेला खर्च किए बिना समूचे मंडला जिला को शत प्रतिशत साक्षर करने का कारनामा करके उन्होंने राष्ट्रीय परिदृश्य में अपना नाम रोशन किया है। इस कार्य के लिए उन्हें गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्मानित किया गया है। कलेक्टर हर्षिका सिंह ने जब मंडला जिले का कार्यभार ग्रहण किया था। उस समय मंडला जिले की आधी से ज्यादा आबादी निरक्षर थी। उन्होंने इन सबको साक्षर करने के असंभव से लगने वाले कार्य का बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने जिलेभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, यहां आने वाले छोटे बच्चों के साथ-साथ आशा कार्यकर्ता और अन्य स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करके साक्षरता अभियान प्रारंभ किया। इसका परिणाम यह रहा कि उनकी प्रेरणा से सभी लोग जुट गए और अपने अपने गांव में जितने भी निरीक्षण एवं गैर पढ़े लिखे लोग थे सबको साक्षर कर पढऩा लिखना सिखा दिया। पिछड़े जिले में शुमार होने वाले मंडला जिला अब खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
कलेक्टर हर्षिका सिंह के इस उत्कृष्ट कार्य के कारण मंडला जिला का नाम राष्ट्रीय स्तर पर छा गया है। इस नेक काम में सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ और समूचा जिला एक झटके में साक्षर हो गया। इस अप्रत्याशित कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की हाथों सम्मानित किया गया है। उनके द्वारा किए गए इस उत्कृष्ट कार्य के संबंध में शुक्रवार को अपना प्रेजेंटेशन भी दिया जाएगा। हर्षिका सिंह के पति रोहित सिंह भी कलेक्टर रह चुके हैं और उन्होंने भी नरसिंह कलेक्टर के रूप में जनहित की योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन के मामले में पिछले माह 17 जनवरी को सम्मान प्राप्त किया है।कलेक्टर हर्षिका सिंह रीवा के रायपुर कर्चुलियान जनपद में अध्यक्ष रह चुके लाल बहादुर सिंह की बहू हैं। कहने का आशय है कि वह एक राजनैतिक घराने से आती है। जनसेवा के प्रति उनके जज्बे का ही परिणाम है कि मंडला जैसा अति पिछड़ा जिला अब शत प्रतिशत साक्षर बन चुका है। हर्षिका सिंह ने जब मंडला कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला था तो उस समय मंडला जिले की साक्षरता मात्र 42 प्रतिशत थी। मतलब इस जिले की आधी से ज्यादा आबादी निरक्षर थी। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में सफलतापूर्वक कार्य करके हर्षिका सिंह में लोक सेवक के रूप में अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। उन्होंने अपने कार्य से रीवा जिले के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन किया है।