राजधानी भोपाल से गुजरी 36Km लंबी कलियासोत नदी से 33 मीटर के दायरे में अतिक्रमण और अवैध निर्माण चिह्नित करने का काम पूरा कर लिया गया है। आखिरी दिन सर्वे के लिए 2Km में 10 लोगों की टीम नदी किनारे घूमती रही। ‘नदी के दायरे’ में कौन घुसा, इसकी तस्वीर भी साफ हो गई है।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देश पर जिला प्रशासन को 31 दिसंबर तक अतिक्रमण हटाना है। 14 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करना है। ड्रोन से सर्वे का राजस्व नक्शे से मिलान नहीं होने के कारण 4 दिन तक मैदानी सर्वे किया गया। हालांकि, अब तक अवैध कब्जे नहीं हटाए जाने पर पर्यावरणविद् सुभाष सी. पांडेय ने नाराजगी जताई है।
11 अगस्त को एनजीटी के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने यह सीमांकन किया है। इस दौरान निर्माण कार्य भी लिस्टेड किए गए। 4 दिन में एक राजस्व निरीक्षक, 3 पटवारी और निगम के 6 कर्मचारियों ने यह सर्वे किया। शुक्रवार को समरधा में दो किलोमीटर के दायरे में सर्वे हुआ। हालांकि, यहां फसलें लहलहाती हुई मिली। सर्वे में 50 से अधिक अवैध निर्माण पाए गए हैं। जिनकी लिस्ट तैयार की गई है। यह लिस्ट एसडीएम और फिर कलेक्टर को सौंपी जाएगी।
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बिल्डिंग के हिस्से के पिलर में मार्किंग
कुछ दिन पहले पहले ड्रोन से सर्वे कराया गया था, लेकिन इससे राजस्व रिकॉर्ड और उसमें अंतर आ रहा था। इसके बाद राजस्व विभाग ने अपने नक्शे के आधार पर सीमाएं तय की। इसी आधार पर सीमांकन किया गया। सर्व-धर्म बी सेक्टर समेत कई इलाकों में मकान-दुकानों के पिलर पर मार्किंग की गई है
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नदी के संरक्षण और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले पर्यावरणविद डॉ. सुभाष पांडेय से बात की। उन्होंने बताया कि अभी तक चिह्नांकन किया गया, लेकिन उस पर लगे अतिक्रमण को हटाया नहीं गया है, जबकि 31 दिसंबर तक यह पूरी कार्रवाई करना है। वहीं, 14 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करना है, लेकिन अब तक कार्रवाई काफी धीमी है। या यूं कहे कि दिखावे की कार्रवाई की जा रही है। ताकि आधी-अधूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसलिए जिम्मेदारों के विरुद्ध एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करने की याचिका लगाऊंगा।
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