एके एंटनी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अपने बेटे अनिल एंटनी को हार का शाप दिया है. एंटनी ने कांग्रेस को अपना धर्म बताया है, लेकिन क्या आप जानते कि इंदिरा काल में वह खुद भी अपनी अलग कांग्रेस पार्टी बना चुके हैं, चला चुके हैं. केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रक्षामंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने अनिल को दक्षिण केरल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. अनिल का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी एंटो एंटनी से है. एके एंटनी ने अपने बेटे को हार का शाप देते हुए कहा है कि इस सीट से एंटो एंटनी को चुनाव जीतना चाहिए. एके एंटनी ने साथ ही यह भी जोड़ा कि कांग्रेस मेरा धर्म है. राजनीति और परिवार, मेरे लिए दोनों अलग-अलग रहे हैं. बेटे को हार का शाप देने वाले एके एंटनी कांग्रेस को अपना धर्म बता रहे हैं तो चर्चा उनके सियासी सफर के उस पड़ाव की भी हो रही है जब उन्होंने अपने इस ‘धर्म’ को आंख दिखाते हुए उसके खिलाफ जाकर अपनी पार्टी बना ली थी. ये कब की बात है और क्या है वह वाकया? इंदिरा के खिलाफ बनाई थी अलग पार्टी छात्र राजनीति से सियासत में आए एके एंटनी तेजी से सियासत में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए. 1970-80 के दशक में वह राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से अपनी जगह बना रहे थे. एके एंटनी कांग्रेस के महासचिव रहे, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी रहे. देश में जब आपातकाल लगा था, उसी दौरान 1976 में असम के गुवाहाटी में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन में एंटनी आपातकाल हटाने की मांग कर चर्चा में आए थे.