16 नवंबर को ओरियन स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होने के 25 दिन बाद, यानि 11 दिसंबर को चंद्रमा के ऑर्बिट से धरती पर आने को तैयार है। भारतीय समय के अनुसार रात 11:09 बजे मैक्सिको में उतरेगा। ओरियन स्पेसक्राफ्ट NASA के आर्टेमिस-1 मिशन का हिस्सा है, जो नासा के इंसानी मून मिशन का पहला चरण है।
किसी स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग के बाद सबसे अहम पड़ाव उसके वापस आने का होता है। वजह है वापस आते वक्त सबसे ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए ओरियन के स्प्लैश डाउन पर सभी की नजरें हैं। तो आइए आज की इस विडिओ में स्टेप बाई स्टेप जानते हैं की किस प्रकार स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा से धरती पर आएगा। दरअसल ओरियन स्पेसक्राफ्ट के चंद्रमा की ऑर्बिट से धरती पर आते समय 3 हिस्सों में बंट जाएगा। ये 3 हिस्से होंगे- लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम, क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल।
जैसे ही स्पेसक्राफ्ट के चंद्रमा की ऑर्बिट से अंतरिक्ष में प्रवेश करेगा, सबसे पहले नाक की तरह दिखने वाला लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम, उससे अलग हो जाएगा। इसके बाद orion धरती के वातावरण के पास पहुंचेगा, तो क्रू मॉड्यूल से सर्विस मॉड्यूल अलग होगा। सर्विस मॉड्यूल ही स्पेस क्राफ्ट का मेन इंजन होता है।
जब ओरियन क्रू मॉड्यूल धरती के वातावरण की ओर बढ़ेगा, तो उस वक्त उसकी स्पीड 40 हजार किमी/घंटे की होगी। लेकिन तापमान बढ़कर 2760 डिग्री हो जाएगा। इतनी गर्मी में लोहा पिघलने लगता है। दरअसल जब स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष से धरती की ओर बढ़ता है, तो हवा में मौजूद घर्षण से इसका तापमान बढ़ जाता है।
जिसे कंट्रोल करने के लिए क्रू मॉड्यूल में एक हीट शील्ड लगी होती है। जो इस बढ़ते तापमान से बचाती है।
धरती के वातावरण आते ही क्रू मॉड्यूल की स्पीड कम होकर 483 km\ घंटे हो जाएगी। और धरती से 8 km की ऊंचाई पर, इसमें लगे 3 पैराशूट खुल जायेगें। पैराशूट के खुलने से क्रू मॉड्यूल की स्पीड और कम हो जाएगी। और लैस 32 km\घंटे की स्पीड से क्रू मॉड्यूल, मैक्सिको के बाजा कैलिफोर्निया में,प्रसंत महासागर में गिर जाएगा।
स्पेस क्राफ्ट को धरती पर लाने की इस टेक्निक को स्प्लैश डाउन कहा जाता है। वहीं अगर नासा का ये मिशन सफल रहा तो अगली बार इंसान यान में बैठकर चंद के चक्कर लगा सकेंगे। और फिर चंद की सतह पर उतार भी सकेंगे। ऐसे ही और भी videos के लिए जुड़े रहिए द खबरदार न्यूज के साथ।