कुकी महिलाओं से रेप करवाने का आरोप, फोर्स को रोका:क्या है मैतेई महिला संगठन मीरा पैबिस, मणिपुर हिंसा से कनेक्शन

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मीरा पैबिस, मैतेई महिलाओं का 45 साल पुराना संगठन। 1977 में बना, फिर ड्रग्स, सेंट्रल फोर्स के खिलाफ लड़ाई लड़ी। चेहरे पर पीला-सफेद लेप लगाए, हाथ में मशाल लिए संगठन की महिलाएं फिर मणिपुर की सड़कों पर हैं। इनकी कहानी शुरू करें, उससे पहले इन महिलाओं से जुड़े हमारे दो अनुभव पढ़िए…

22 जुलाई, दोपहर 12 बजे
हमारी गाड़ी को घेरा, कहा- कुकी इलाके में मत जाओ, हमारी कवरेज करो

19 जुलाई को मणिपुर में दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो वायरल हुआ। इसकी पड़ताल करने हम राजधानी इंफाल से कुकी आबादी वाले चुराचांदपुर के लिए निकले थे। रास्ते में जगह-जगह कुछ महिलाएं हमारी गाड़ी के सामने आतीं और रुकने के लिए कहतीं। बिष्णुपुर में महिलाओं के एक ग्रुप ने गाड़ी रोकी और हमें घेर लिया।

इन महिलाओं ने हमारी गाड़ी पर प्रेस लिखा देख लिया था। वे इस बात से गुस्सा थीं कि वायरल वीडियो को बहुत ज्यादा कवरेज मिल रही है। महिलाएं हमें कुकी इलाके की तरफ नहीं जाने देना चाहती थीं, ताकि कुकी समुदाय को कवरेज न मिले।

ये महिलाएं ही हैं- मीरा पैबिस। रंग-बिरंगे कपड़े पहने हुए, सिर पर पगड़ी की तरह चुन्नी लपेटे महिलाएं करीब घंटे भर अड़ी रहीं। कहती रहीं कि पहले हमारे रिलीफ कैंप की पूरे दिन कवरेज करो, इसके बाद चुराचांदपुर जाना। हम उन्हें मनाते रहे। कहते रहे कि हमें जाने दीजिए, वहां हमने किसी से मिलने के लिए टाइम लिया है। उन्होंने कोई बात नहीं सुनी।

हमने उन्हें भरोसा दिया कि हम मैतेई समुदाय की कवरेज भी कर रहे हैं, लेकिन वे नहीं मानीं।हमारे पास इंफाल की मीरा पैबिस लीडर के नंबर थे। हमने उन्हें फोन किया, उन्हें समझाया। अपनी लीडर के आदेश पर महिलाएं मान गईं, तभी हम आगे जा पाए।

इस दिन भी हमें चुराचांदपुर की तरफ ही जाना था। मैतेई इलाके से गुजरते हुए रास्ते में जितने भी गांव, कस्बे, शहर मिले, सभी में ये महिलाएं अच्छी-खासी तादाद में दिख रही थीं। बिष्णुपुर से पहले एक कस्बे में मीरा पैबिस से ही जुड़ी महिलाओं ने जाम लगा दिया।

ये जाम असम राइफल्स की गाड़ियों को रोकने के लिए था, जिनसे जवान कुकी इलाकों में जा रहे थे। मीरा पैबिस का आरोप रहा है कि असम राइफल्स कुकी समुदाय की मदद करती है।

कई घंटे तक असम राइफल्स की गाड़ियां खड़ी रहीं। पुलिस ने महिलाओं से बात कर उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानीं। आखिरकर असम राइफल्स के ट्रकों को वापस जाना पड़ा। मीरा पैबिस यही चाहती थीं। उन्होंने अपनी बात, अपनी शर्तों पर मनवा लीं।

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