2023… मध्यप्रदेश में राजनीति के लिहाज से बेहद अहम साल। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की। सबसे बड़ा सियासी घटनाक्रम रहा भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन। पार्टी ने 18 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह डॉ. मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंपी। शिवराज की विदाई जिस तरह हुई, वह चौंकाने वाली रही। आखिर शिवराज को कब बताया गया कि उन्हें इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं सौंपी जाएगी। क्या शिवराज को इसके बारे में पहले से पता था?
अमित शाह का एमपी दौरा, प्रदेश के टॉप लीडर्स से वन-टू-वन चर्चा
कहानी शुरू होती है 15 महीने पहले। अप्रैल 2022। मौसम में धीरे-धीरे गर्माहट बढ़ रही थी, लेकिन राजनीतिक माहौल सामान्य था। 22 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोपाल पहुंचते हैं। वे अपने तयशुदा घोषित कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। प्रदेश में पार्टी के टॉप लीडर वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और डॉ. नरोत्तम मिश्रा से वन-टू-वन चर्चा करते हैं। फिर इस वन टू वन चर्चा के मायने निकाले जाने लगते हैं।
कुछ दिनों बाद दिल्ली में हलचल होती है। 28 अप्रैल की बात है, दिल्ली में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में शिवराज सरकार के कामों का रिव्यू होता है। बात सामने आती है कि शिवराज के भविष्य को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, बल्कि राज्य के मंत्रिमंडल का जल्द विस्तार करने और खाली पड़े निगम-मंडलों के पदों को भरने पर मंथन हुआ।
इस बैठक में प्रदेश के बड़े नेताओं के अलावा पहली बार संघ के पदाधिकारी भी शामिल हुए। बैठक से पहले शिवराज ने जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात की थी। जाहिर तौर पर सबकुछ सामान्य लेकिन शिवराज के भविष्य को लेकर आलाकमान के स्तर पर स्क्रिप्ट लिखने की शुरुआत हो चुकी थी। इधर, मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। चर्चाओं के बादल छंटने लगे।
तोमर, कैलाश व प्रहलाद को टिकट, लेकिन शिवराज का नाम नहीं
अब मुख्यमंत्री के चेहरे का सवाल तो पीछे चला गया। नया सवाल यह खड़ा हो गया कि यदि भाजपा जीतती है तो शिवराज मुख्यमंत्री होंगे भी या नहीं? 25 सितंबर को भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची के बाद इस सवाल में और गंभीरता आ गई। दरअसल, पार्टी ने प्रदेश के कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व प्रहलाद पटेल के अलावा राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतार दिया।इसके बाद सवाल और स्पेसिफिक होने लगे, चुनाव के बाद शिवराज नहीं तो कौन? अब तक शिवराज का नाम उम्मीदवारों की सूची में नहीं था। फिर तीसरी सूची जारी हुई। शिवराज का नाम नहीं आया तो अटकलें लगने लगीं कि शायद शिवराज इस बार चुनाव न लड़ें। मगर चौथी सूची में शिवराज को उनके गृह क्षेत्र बुधनी से टिकट दिया गया। शिवराज पूरे प्रदेश में घूमे। हर जगह लाड़ली बहना का जिक्र किया।