Wednesday, October 30, 2024

एक सवाल सरकार के नाम

Website question 1

विनीत कुमार, शिक्षक

आने वाले 10 से 15 सालों में देश के अंदर भयावाह स्तिथि बनने वाली है क्योंकि हर वर्ग के लोग अपने जातिगत वर्ग के आधार पर अपने अलग प्रदेश और अलग देश की मांग करने लगेंगे और , नेताओं द्वारा अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनकी बेतुकी मांगो को मानने की मजबूरी बन जाएगी । इस मुद्दे को गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है , देश की आजादी के 76 सालों के बाद तथा मौलिक अधिकारों की अनिवार्यता के बाद भी आखिर हमारी सरकारों को क्यों जातिगत जनगणना की जरूरत पड़ रही है ,समता के अधिकारों के बाद भी आज सरकारें आरक्षण को क्यों बढ़ावा देने में लगी है ।क्या वास्तव में आज भी आरक्षित वर्ग को आरक्षण की जरूरत है या राजनीतिक तुष्टीकरण है , देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जिसे वास्तव में आर्थिक ,राजनीतिक और सामाजिक समता की आवश्यकता है उन लोगों के लिए सरकारों द्वारा चलाई गई महत्वाकांक्षी योजनाएं आज भी एक कोरी कल्पना के समान है । हम विकासशील से विकसित होने के पायदान पर खड़े है लेकिन दूषित राजनीतिक प्रकोप से घिर चुके है राजनीतिक पार्टियां अपनी सरकार बनाने के लिए किसी एक संवर्ग को जो बहुसंखक हैं ,को लुभाने के लिए  सभी  अनैतिक हथकंडे अपना रही है जोकि देशहित में बिल्कुल भी नही है  इस प्रकार एक संवर्ग तो आर्थिक सामाजिक राजनीतिक तौर पर विकास कर रहा है वही अन्य संवर्ग गर्त की ओर जा रहे है । संविधान निर्माण के समय बाबा साहब अम्बेडकर जी ने आरक्षण की सीमा एक समय के लिए निर्धारित किया था उसका कारण भी यही था की देश के विकास के साथ हम सभी संवर्ग के लोग समानता के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे , लेकिन वर्तमान की स्थिति भूत से भी विकराल होती जा रही है जिसका मुख्य कारण राजनीतिक दलों का खुद का स्वार्थ तथा  सत्ता का लोभ है ।  क्या एक संवर्ग की जनसंख्या का अधिक होना , देश या प्रदेश  की सरकार के निर्धारण का पैमाना होगा |वास्तव में ये बहुत विचारणीय मुद्दा है और सभी राजनीतिक दलों को इसमें विचार करने की जरूरत है |

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