कार्तिक मास 11 अक्टूबर से 8 नवंबर तक रहेगा। पुराणों में इस महीने को बहुत खास बताया गया है। इसके बारे में भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद जी को और उन्होंने महाराज पृथु को कार्तिक मास के बारे में बताया है। इस पवित्र महीने में 7 नियम प्रधान माने गए हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
जमीन पर सोना और दालें नहीं खाना
पुराणों में ये भी जिक्र है कि कार्तिक मास में जमीन पर सोना चाहिए। ऐसा करने से आलस्य और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही इन दिनों में फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए। तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। इन सब बातों का ध्यान रखने से सेहत अच्छी रहती है और उम्र बढ़ती है।
दीपदान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य
कार्तिक मास में सबसे खास काम दीपदान करना होता है। इस महीने में मंदिर, तुलसी, आंवले का पेड़, नदी, पोखर, कुए, बावड़ी और तालाब के किनारे दीपदान किया जाता है। इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
तुलसी, शालग्राम और आंवला पूजन
कार्तिक मास में भगवान विष्णु के शालग्राम रूप की पूजा करने से महापुण्य मिलता है। इस महीने में तुलसी और आंवले के पेड़ की पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य मिलता है।
संयम से बढ़ती है इच्छा शक्ति
कार्तिक मास के दौरान कम बोलना चाहिए। मन पर संयम रखें। किसी की बुराई न करें और विवादों से भी बचें। इन दिनों में ब्रह्मचर्य के नियम मानने चाहिए। ऐसा करने से इच्छा शक्ति मजबूत होती है और अंदरूनी ताकत बढ़ती है।