मध्यप्रदेश के जबलपुर की बेटी का उत्तर प्रदेश के कानपुर में बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। अरबपति परिवार की बहू का हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि उसका पति निकला। गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर ड्राइवर और अन्य तीन लोगों को पत्नी के मर्डर की सुपारी दी। यह हत्याकांड MP से लेकर UP तक सुर्खियों में रहा। आखिरकार एक पिता की जिद के कारण केस अंजाम तक पहुंचने को है।
8 साल बाद यानी 20 अक्टूबर 2022 को कानपुर में अपर जिला जज प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी की कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी करार दिया है। शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी। इस बहुचर्चित हाई प्रोफाइल हत्याकांड को सिलेसिलेवार तरीके से समझते हैं…
पहले जानिए क्या है पूरा मामला
27 जुलाई 2014 को जबलपुर के शंकरलाल नाग्देव की बेटी ज्योति की कानपुर में बेरहमी से हत्या हुई थी। इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड की जांच के लिए SIT गठित हुई थी। ज्योति मर्डर केस भले ही उत्तर प्रदेश में अंजाम दिया गया था, लेकिन इस केस के हर अपडेट पर जबलपुर में नजर थी। SIT जांच करने के लिए जबलपुर भी आई थी। पुलिस को ज्योति के कमरे से उसकी पर्सनल डायरी मिली थी। ये डायरी भी कोर्ट में अहम साक्ष्य साबित हुई।
ज्योति की शादी 2012 में हुई थी। शादी के डेढ़ साल बाद यानी 2014 में पीयूष ने उसे मौत के घाट उतार दिया। अब यह केस अंजाम तक पहुंचने पर है।
शादी के बाद भी खुश नहीं थी ज्योति
ज्योति के पिता शंकर नाग्देव बड़े व्यापारी और महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारी हैं। उनके 3 बच्चों में ज्योति इकलौती बेटी थी। घर की लाडली थी। 1 सितंबर 1988 को जन्मी ज्योति की पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में हुई थी। शादी के पहले वह स्कूल में टीचर थी। उसे बच्चों से बेहद लगाव था। वह अपना जन्मदिन स्कूल और अनाथालय के बच्चों के साथ मनाती थी।
वर्ष 2012 में कानपुर में पांडुनगर के रहने वाले बिस्किट व्यापारी ओमप्रकाश श्यामदासानी के छोटे बेटे पीयूष से ज्योति की शादी हुई। नाग्देव परिवार और दासानी परिवार का कारोबारी रिश्ता भी था। दुल्हन बनकर ससुराल पहुंची ज्योति को शादी की पहली रात ही पति की असलियत पता चल गई। वह रातभर पति का इंतजार करती रही। पीयूष गर्लफ्रेंड के साथ रहा। ज्योति ने इस दर्द को पर्सनल डायरी में बयां किया था।
शादी की पहली रात से दूरी दिखने लगी थी। ज्योति को शादी की पहली रात ही पति की असलियत पता चल गई। वह रातभर पति का इंतजार करती रही। पीयूष गर्लफ्रेंड के साथ रहा।
आईएम हिज सो कॉल्ड वाइफ: ज्योति
ज्योति ने अपनी डायरी में पति पीयूष के लिए लिखा था- दुनिया की निगाह में मैं पीयूष की पत्नी हूं, किससे कहूं और कैसे कहूं कि मैं पत्नी नहीं, पत्नी जैसी हूं (आईएम हिज सो कॉल्ड वाइफ) उसने मुझे कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया। वह मुझे कुछ समझता ही नहीं है, न जाने क्यों वह मुझसे नफरत करता है, लेकिन परिवार की बदनामी के डर से मैंने यह बात किसी को नहीं बताई। हमेशा पत्नी की भूमिका निभाती रही।
पीयूष मुझे मानसिक रूप से सताने का कोई मौका नहीं छोड़ता। वह अपनी मां बहन सबके लिए जेवर लाता है, लेकिन मेरे लिए कभी एक अंगूठी तक नहीं लाया। सबका जन्मदिन उसे याद रहता है। पार्टी देता है, लेकिन मेरा जन्मदिन भूल जाता है।
उसने मुझसे कभी नहीं पूछा कि मुझे क्या चाहिए, मेरा पारिवारिक जीवन खराब हो गया है। पीयूष बस अपनी महिला दोस्तों में मस्त रहता है। मुझे न जेवर चाहिए, न गिफ्ट या कुछ और, मुझे उसका प्यार और केयर चाहिए, बस उसका प्यार चाहिए।
पीयूष मेरे साथ हनीमून मनाने गया था। वहां वह एयरपोर्ट पर मुझे छोड़कर 2 घंटे के लिए गायब हो गया। लौटने पर मैंने पूछा तो बताया कि वह दोस्तों से बातचीत करने गया था।
हनीमून के दौरान भी हम लोग अजनबी की तरह रहे। वह घंटों तक दोस्तों से बातचीत और मैसेज में ही व्यस्त रहता था। उसके पास मेरे साथ कुछ पल बिताने का समय ही नहीं था। मेरी जिंदगी में पीयूष नहीं बस उसका नाम और उसकी बेवफाई ही रहेगी। ज्योति ने अपनी डायरी में कुछ शायरी भी लिखी है।
(ज्योति की डायरी के अंश।)
वारदात के 72 घंटे में पुलिस ने केस सुलझा लिया था। पुलिस ने आरोपी पति पीयूष को भी गिरफ्तार कर लिया था। (फाइल फोटो)
अय्याश था पीयूष, 9 गर्लफ्रेंड समेत नौकरानी से थे संबंध
ज्योति का पति पीयूष श्यामदासानी अय्याश था। उस पर लड़कियों की हवस इस कदर सवार थी कि उसने कॉलेज दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार, फैक्ट्री कर्मचारी, बिजनेस पार्टनर्स, यहां तक कि घर की नौकरानी को नहीं छोड़ा था। पीयूष के फ्रेंड सर्किल में आने वाली अरबपति परिवारों की बेटियों समेत 9 लड़कियों से संबंध उजागर हुए थे।
वह अक्सर पत्नी को कमरे में छोड़कर बाथरूम चला जाता था। वहां घंटों बैठकर वह गर्लफ्रेंड से बातें करता था। ज्योति ने इसका जिक्र अपनी मां से किया था, लेकिन मां वक्त के साथ सुधरने की बात कहकर बेटी को समझा देती थी।
पीयूष की गर्लफ्रेंड मनीषा भी थी। शादी के बाद वह दिल्ली चली गई थी। ढाई महीने बाद लौटी तो पीयूष से फिर उसके संपर्क बढ़ गए थे।
अब जानते हैं कि 27 जुलाई 2014 को क्या हुआ था?
पीयूष की एक गर्लफ्रेंड कानपुर के गुटखा किंग की बेटी मनीषा मखीजा थी। पीयूष की शादी के बाद मनीषा दिल्ली चली गई। वह ढाई महीने बाद लौटी। इसके बाद पीयूष से फिर संपर्क बढ़ गए। उनकी राह में ज्योति रोड़ा बन चुकी थी। उसे पति पीयूष और मनीषा के संबंधों की जानकारी हो गई थी। इसे लेकर अक्सर उनके बीच विवाद होता था।
वारदात से 3 दिन पहले पीयूष आधी रात को दीवार फांद कर मनीषा के घर में घुसा था, जिसे ज्योति ने देख लिया था। इसे लेकर उनके बीच विवाद हुआ था। इसी के बाद पीयूष ने गर्लफ्रेंड मनीषा के साथ मिलकर ज्योति की हत्या की साजिश रची थी। इसमें उसने अपने ड्राइवर अवधेश चतुर्वेदी को सुपारी देकर प्लान समझाया था। अवधेश ने हत्या के लिए अपने साथियों रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया, सोनू कश्यप और आशीष कश्यप को बुलाया था।
ज्योति की हत्या के बाद पिता शंकर नाग्देव और मां की बुरी हालत हो गई। उनके प्रयासों से बेटी की हत्या का आरोपी दामाद पकड़ा गया। अब केस फाइनल होने की स्थिति में है।
अंग्रेजी फिल्म देख रची साजिश, चाकू से 17 वार
पीयूष ने अंग्रेजी फिल्म देखकर मर्डर की साजिश रची थी। 27 जुलाई 2014 को ज्योति को सुधरने का वादा करने के बाद वरांडा रेस्त्रां लेकर गया था। यहां रात 11 बजे तक साथ रहे। इसके बाद पीयूष ने कार को घर के बजाए पनकी के सुनसान रास्ते पर मोड़ दिया। ज्योति को अनहोनी की आशंका हुई, तो उसने विरोध किया। इसी दौरान पीयूष ने कार रोक दी, तभी कार ड्राइवर अवधेश और भाड़े के तीनों हत्यारे रेनू, सोनू व आशीष गाड़ी में घुस आए। ज्योति पर मौत होने तक चाकू से वार करते रहे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ज्योति के शरीर पर 17 बार चाकू से घाव की पुष्टि हुई थी। 4 पेट में, 4 गर्दन पर, 2 सिर के पिछले हिस्से में, 4 पैर और 2 पीछे हिप में और चेहरे पर एक घाव मिले थे। शव को कार में छोड़कर पीयूष दूसरी गाड़ी से घर गया। वहां टी-शर्ट बदली और फिर थाने पहुंच कर ज्योति के अपहरण का केस दर्ज कराया।
सख्ती से पूछताछ में पीयूष ने उगला राज
पीयूष के बदलते बयानों से पुलिस को उस पर संदेह हुआ। हाई प्रोफाइल कारोबारी घराने के प्रकरण के चलते तत्कालीन आईजी आशुतोष पांडे ने खुद मोर्चा संभाला। कानपुर की पुलिस उतार दी गई। 28 जुलाई की सुबह पनकी में पीयूष की कार मिली। गाड़ी में खून से लथपथ ज्योति का शव मिला।
पुलिस पीयूष के बयानों के आधार पर आसपास लगे सीसीटीवी खंगाले। इसके बाद पीयूष से सख्ती से पूछताछ की। पीयूष पुलिसिया सख्ती के आगे टूट गया। आखिर में उसने जो खुलासा किया, उसे सुनकर लोग सन्न रह गए। खुद घरवालों को विश्वास नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने बाद में एक-एक कर सभी आरोपियों को दबोच लिया। 72 घंटे में पुलिस इस केस का खुलासा कर चुकी थी। पीयूष ने बयान में कहा था कि वह ज्योति से घृणा करता था।
पीयूष पहले पुलिस को बरगलाता रहा। उसके बदलते बयानों से उस पर शक गहरा गया। सख्ती से पूछताछ करने पर पीयूष ने जुर्म कबूल कर लिया। कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद पीयूष को पुलिस ले गई।
10 सवालों में फंसकर पीयूष ने उगली थी सच्चाई
पहला सबूत- घटना से 5 घंटे पहले पीयूष की मोबाइल लोकेशन जहां कार मिली, उसके आस-पास मिली थी।
पीयूष– मेरी सचेंडी वाली फैक्टरी में हवन था, मैं परिवार सहित पनकी होते हुए ही घर लौटा था। इसी वजह से मेरे मोबाइल की लोकेशन वहां मिली थी।
झूठ इसलिए– क्योंकि सिर्फ उसकी मोबाइल लोकेशन ही पनकी में मिली, परिवार के दूसरे सदस्य की क्यों नहीं?
दूसरा सबूत- रेस्तरां के सीसीटीवी फुटेज में जो टीशर्ट पीयूष ने पहनी है। घटना के बाद दूसरी कैसे और क्यों?
पीयूष – मैंने टीशर्ट नहीं बदली। सीसीटीवी फुटेज में बैक नजर आ रही है। वह वही टीशर्ट है, जो मैंने घटना के बाद पहनी थी।
झूठ इसलिए– क्योंकि सामने से जो टीशर्ट नजर आ रही है उसमें किसी दूसरे कलर का शेड नजर नहीं आ रहा है।
तीसरा सबूत– मोबाइल होने के बाद भी पीयूष ने नहीं, बल्कि उसके परिवार ने पुलिस को घटना की जानकारी देर से क्यों दी?
पीयूष – पीयूष और परिवार ने चुप्पी साध ली। एक ने कहा- वो बहुत डर गया था।
चौथा सबूत– सीसीटीवी फुटेज में ज्योति और पीयूष ने बहस होती नजर आई थी। उसके बाद वह ज्योति को हाथ से खींचते हुए कार में बैठा देता है।
पीयूष– मेरी ज्योति से बहस नहीं हुई। हम तो खाना खाने वहां गए थे। मैं किसी से बात कर रहा था, इसी बीच ज्योति पहले नीचे उतर आई थी।
झूठ इसलिए– सीसीटीवी फुटेज में सिर्फ ज्योति ही बीच बीच में कुछ खाते दिख रही पीयूष सिर्फ हुक्का पी रहा है। अपना मोबाइल देख रहा था।
पांचवां सबूत– पीयूष के फेसबुक अकाउंट में ऐसा क्या था, जो उसे 2 दिन पहले डिलीट करना पड़ा।
पीयूष– मैंने शादी से पहले ही फेसबुक अकाउंट डिलीट किया था। ज्योति को इसके बारे में बताया था।
झूठ इसलिए– पीयूष के रिश्तेदार ही फॉर्मल बातचीत में एक दिन पहले किसी वजह से फेसबुक अकाउंट डिलीट करने की बात कह चुके थे।
छठवां सबूत– घटना रोडरेज की है। पीयूष से बदमाशों की पहले लड़ाई हुई, तो उसे कोई चोट क्यों नहीं?
पीयूष– मुझे एक बदमाश ने हाथ में रॉड से मारा था। दूसरे बदमाशों ने मारपीट की थी।
झूठ इसलिए– पीयूष के साथ अगर इतनी मारपीट हुई, तो चोट के निशान क्यों नहीं है? उसने मेडिको लीगल क्यों नहीं कराया था?
सातवां सबूत– कार में इतने सारे चाकू कैसे मौजूद थे?
पीयूष– मुझे नहीं पता कार में चाकू कैसे और कहां से आए थे।
झूठ इसलिए– शील्ड कंपनी के जिन चाकुओं का सेट खरीदा गया था, वो 3 नहीं, बल्कि 4 के सेट में आते हैं। किसी सुपर मार्केट या बर्तन दुकान पर मिलते हैं। कार में खाने-पीने का पैक्ड सामान मिला था। इसका मतलब यही है जिस दौरान खाने-पीने का सामान खरीदा गया, उसी दौरान ये चाकू भी खरीदे गए थे।
आठवां सबूत– पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ज्योति के चेहरे पर एक ही धारदार हथियार से दर्जन भर चोटों के निशान मिले हैं। साथ ही, हत्या किसी अनप्रोफेशनल शख्स ने की है?
– पीयूष की चुप्पी
नौवां सबूत– पीयूष अपना मोबाइल ज्योति को नहीं छूने देता था। बाथरूम में कई घंटे बात करता था।
पीयूष- नहीं, मैं घंटों बाथरूम में किसी से बात नहीं करता था। 5-10 मिनट से ज्यादा किसी से बात नहीं की थी।
झूठ इसलिए– ज्योति के पिता भी यह बात कह चुके हैं कि ज्योति ने पहले भी उन्हें पीयूष की इस आदत के बारे में बताया था।
दसवां सबूत– कत्ल उन्हीं 4 चाकुओं में से एक से हुआ है, जिसे सुपर स्टोर से बाकी खाने-पीने के सामान के साथ पीयूष और ज्योति ने खरीदा था। पुलिस ने आरोपियों से एक चाकू जब्त किया था। उस पर मिले खून के धब्बे ज्योति के ही निकले थे।
बेटी को न्याय दिलाने के लिए पिता की जिद की जीत
कानपुर एडीजे प्रथम अजय कुमार त्रिपाठी ने ज्योति के पति पीयूष, पीयूष की गर्लफ्रेंड मनीषा, अवधेश, आशीष, सोनू और रेनू को दोषी करार किया है। इस केस को अंजाम पहुंचाने में पिता शंकर नाग्देव का अहम योगदान रहा। ये बेटी को न्याय दिलाने की पिता की जिद थी। जबलपुर से वह हर पेशी पर कानपुर जाते थे। वारदात के बाद तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने बुलाकर नाग्देव परिवार को भरोसा दिलाया था कि उनकी बेटी को न्याय मिलेगा।
दैनिक भास्कर से बातचीत में शंकर नाग्देव ने बताया कि यूपी के मौजूदा एडीजी और उस समय कानपुर जोन के आईजी रहे आशुतोष पांडे ने इसमें अहम भूमिका निभाई। इस केस में जो भी साक्ष्य और गवाही होनी थी, सभी की मॉनिटरिंग की। आखिरी तक उन्होंने मदद की। एक-एक गवाह को बुलाया। तब जाकर 8 साल में केस का फैसला आ पाया। नहीं तो ये इतने प्रभावशाली लोग थे कि 20 साल में भी केस नहीं निपट पाता। हमारे ऊपर समझौते के काफी दबाव भी पड़े, लेकिन मैने खुद वादा किया था कि बेटी को न्याय दिला कर रहूंगा।
पीयूष ने तीन लोगों को ज्योति की हत्या की सुपारी दी थी। इसके लिए साजिश रची। साजिश के तहत वो ज्योति को कार से बाहर लेकर गया। लौटते वक्त सुनसान जगह पर कार रोकी और हमला करवा दिया।
नौ आरोपी में 6 पर दोष सिद्ध, 3 बरी
मामले में पीयूष समेत उसके पिता ओमप्रकाश श्यामदासानी, मां पूनम श्यामदासानी, भाई मुकेश व चचेरा भाई कमलेश श्यामदासानी को भी आरोपी बनाया गया था। ट्रायल के दौरान पिता ओमप्रकाश श्यामदासानी की मौत हो गई। वहीं, कोर्ट ने मां पूनम, भाई कमलेश व मुकेश को बरी कर दिया। पीयूष, उसकी प्रेमिका मनीषा, ड्राइवर अवधेश, भाड़े के हत्यारे रेनू, सोनू व आशीष कश्यप को दोषी माना है।
केस की पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्रपाल सिंह ने बताया कि कोर्ट में ज्योति की डायरी और पीयूष व मनीषा के बीच हुए एसएमएस अहम साक्ष्य साबित हुए। आरोपियों के पास से जब्त चाकू पर ज्योति के ही खून के निशान मिलने की पुष्टि एफएसएल से हुई थी। गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य भी आरोपियों के खिलाफ गए। कोर्ट शुक्रवार को सजा सुनाएगी। हमारी मांग रहेगी कि इस जघन्य हत्याकांड में आरोपियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो।