मध्यप्रदेश की राजनीति में कमलनाथ चैप्टर बंद होने के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी

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The Khabardar News

मध्यप्रदेश की राजनीति में कमलनाथ चैप्टर बंद होने के बाद पार्टी अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी ने मध्यप्रदेश की 29 में से 26 सीटों पर नामों के पैनल तैयार कर लिए हैं। 6 सीटों पर सिंगल नाम तय किए गए हैं, जबकि 14 लोकसभा सीटों पर 2-2 नाम तय किए हैं। 4 सीटों पर 3-3 नाम शामिल किए हैं। ग्वालियर-चंबल की 2 सीटें ऐसी हैं, जहां पैनल में 5-5 नाम हैं। भोपाल, इंदौर और सतना सीट पर अभी तक नाम तय नहीं हो पाए हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से तैयार पैनल पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चर्चा की जाएगी और फिर नाम फाइनल किए जाएंगे। खजुराहो सीट पर भी पैनल बनाया गया है, लेकिन यह सीट सपा के लिए छोड़ी जा सकती है।

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए पिछले दिनों ही दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें कमेटी की अध्यक्ष रजनी पाटिल, प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार शामिल हुए थे। इस कमेटी की एक बैठक ओर होनी है, लेकिन राहुल गांधी की न्याय यात्रा जब मध्यप्रदेश से निकल जाएगी, इसके बाद कमेटी की बैठक होगी। जिन सीटों पर नाम फाइनल होंगे, उनकी घोषणा दिल्ली से होगी जाएगी। उम्मीद है कि 10 मार्च के पहले कुछ सीटों के उम्मीदवार घोषित हो सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, राज्य की 29 लोकसभा सीटों में 13 सीटें ऐसी हैं, जहां उम्मीदवारों के पैनल में विधायक और एक महापौर का नाम शामिल है। कांग्रेस पार्टी ने रीवा, सीधी, शहडोल, छिंदवाड़ा, बैतूल और धार के लिए सिंगल नाम का पैनल तय किया है।

रीवा सीट के लिए पार्टी ने अजय मिश्रा बाबा का नाम है। बाबा रीवा नगर निगम में कांग्रेस पार्टी के महापौर हैं। 2019 के चुनाव में इस सीट से भाजपा के जनार्दन मिश्रा ने दूसरी बार जीत हासिल की थी। कांग्रेस के टिकट पर सिद्धार्थ तिवारी चुनाव लड़े थे। सिद्धार्थ विंध्य का शेर कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते हैं। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा जॉइन की थी। तिवारी ने त्योंथर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।

सीधी सीट से कमलेश्वर पटेल का नाम पैनल में है। पटेल को 2023 के विधानसभा चुनाव में सिहावल सीट पर हार मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रीति पाठक ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह (राहुल भैया) को टिकट दिया, उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सीधी विधानसभा सीट से लगातार तीन बार के विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटकर रीति पाठक को मैदान में उतारा था। पाठक ने यहां से जीत दर्ज की। जबकि अजय सिंह (राहुल भैया) चुरहट सीट से विधायक बन विधानसभा पहुंचे हैं। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और उनके बेटे अजय सिंह राहुल का गढ़ है, जहां दोनों कई बार विधायक बन चुके हैं।

शहडोल सीट से फुंदे लाल मार्को का नाम पैनल में है। मार्को लंबे समय से विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने से जनता के बीच लोकप्रिय हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा की हिमाद्री सिंह चुनाव जीती थीं। जबकि कांग्रेस की प्रमिला सिंह को हार मिली थी। हिमाद्री सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा में शामिल हुई थीं। इससे पहले वो कांग्रेस की सांसद थीं। भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी के बाद वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गईं थीं।

छिंदवाड़ा सीट से पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का नाम है। नकुलनाथ ने पहला लोकसभा चुनाव 2019 में जीता था। उन्होंने भाजपा के नत्थन शाह कवरेती को हराया था। यह प्रदेश की एकमात्र ऐसी सीट जहां कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।

बैतूल सीट से रामू टेकाम का नाम है। रामू टेकाम 2019 का चुनाव भी लड़ चुके हैं। लेकिन उन्हें भाजपा के दुर्गादास उइके से हार मिली थी। टेकाम अभी मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के आदिवासी प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

धार सीट से पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल हनी का नाम तय किया है। बघेल कुक्षी विधानसभा सीट से विधायक है। पूर्व मंत्री रहे बघेल की कुक्षी और आसपास के क्षेत्रों में अच्छी पकड़ है। हनी के पिता प्रताप सिंह बघेल भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। 2019 में इस सीट से भाजपा के छतरसिंह दरबार को जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस ने यहां से दिनेश गिरवाल को टिकट दिया था।

कांग्रेस ने भिंड, गुना, सागर, दमोह, टीकमगढ़, देवास, खजुराहो, जबलपुर, मंडला, राजगढ़, विदिशा, देवास, उज्जैन, खरगोन और खंडवा सीट के लिए दो नाम का पैनल बनाया है।

भिंड सीट से फूल सिंह बरैया और देवाशीष जरारिया हैं। दलित नेता बरैया एमपी की भांडेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। जबकि देवाशीष जरारिया 2019 का लोकसभा चुनाव इसी सीट से हार चुके हैं। इस सीट से भाजपा की संध्या राय चुनावी जीती थीं। देवाशीष जरारिया को कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का करीबी नेता माना जाता है। देवाशीष एमपी राजनीति में दलित समाज में युवा चेहरा बनकर उभरे हैं।

गुना-शिवपुरी सीट से वीरेंद्र रघुवंशी व यादवेंद्र सिंह का नाम है। वीरेंद्र रघुवंशी कोलारस विस सीट से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। 2023 से विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही रघुवंशी भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इस सीट से पिछला चुनाव भाजपा के केपी यादव जीते थे, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

सागर सीट से अरुणोदय चौबे और चंद्रभूषण सिंह बुंदेला गुड्डू राजा के नाम पैनल पर है। इसी सीट से 2019 में भाजपा के राज राम बहादुर सिंह चुनाव जीते थे। कांग्रेस के प्रभु सिंह राम ठाकुर को हार मिली थी। चौबे पूर्व विधायक रहे हैं। बुंदेलखंड के दिग्गज नेता माने जाते हैं। चंद्रभूषण सिंह बुंदेला यूपी के बाहुबली नेता हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

दमोह लोकसभा सीट से जया ठाकुर और तिलक सिंह का नाम पैनल में है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दमोह सीट से प्रहलाद पटेल चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी को चुनाव हराया था। पटेल 2023 के विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर सीट से विधायक बने हैं। टीकमगढ़ सीट से किरण अहिरवार और पंकज अहिरवार का नाम पैनल में है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र कुमार खटीक जीते थे। उन्होंने कांग्रेस की किरण अहिरवार को हराया था।

खजुराहो से आलोक चतुर्वेदी, वीरेंद्र द्विवेदी का नाम पैनल में है। 2019 में इस सीट से भाजपा के वीडी शर्मा चुनाव जीते। उन्होंने कांग्रेस की कविता सिंह को चुनाव हराया था। जबलपुर सीट से दिनेश यादव और अंजू सिंह बघेल के नाम पैनल में हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में राकेश सिंह चुनाव जीते थे, उन्होंने कांग्रेस नेता विवेक तन्खा को हराया। तन्खा राज्यसभा सांसद हैं। राकेश सिंह ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है।

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राजगढ़ सीट से प्रियव्रत सिंह और चंदर सिंह सोंधिया के नाम हैं। इस सीट पर फैसला पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह करेंगे। भाजपा के रोडमल नागर लगातार दूसरी बार इस सीट से चुनाव जीते हैं। उन्होंने पिछली बार मोना सुस्तानी को चुनाव हराया था। विदिशा सीट से देवेंद्र पटेल व प्रशांत भार्गव के नाम हैं। 2019 में इस सीट से भाजपा के रमाकांत भार्गव जीते, जबकि कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल कोहार को हार का मुंह देखना पड़ा था। मंडला सीट विधायक ओंकार सिंह मरकाम और नारायण पट्टा के नाम पैनल में हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते को जीत मिली। वहीं कांग्रेस के कमल मारावी को हार मिली।

देवास लोकसभा सीट से सज्जन सिंह वर्मा और विपिन वानखेड़े के नाम पैनल में हैं। 2019 में इस सीट से महेंद्र सोलंकी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। कांग्रेस के प्रहलाद टिपानिया चुनाव हारे। उज्जैन लोकसभा सीट से महेश परमार, रामलाल मालवीय का नाम पैनल में है। इस सीट से 2019 में भाजपा के अनिल फिरोजिया चुनावी जीते थे, कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को हार मिली थी।

खरगोन सीट से भी दो नाम का पैनल बना है। इसमें पूर्व मंत्री और विधायक बाला बच्चन और केदार डाबर (भगवानपुरा) के नाम आए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव भाजपा के गजेंद्र पटेल चुनाव जीते। जबकि कांग्रेस के डॉ. गोविंद मुजाल्दा चुनाव हारे। खंडवा लोकसभा सीट से झूमा सोलंकी और राजनारायण सिंह के नाम पैनल में हैं। इस सीट से 2019 में भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान जीते, वहीं कांग्रेस के अरुण यादव चुनाव हारे। नंदकुमार चौहान के निधन के बाद इस पर उपचुनाव हुए। तभी भी इस सीट से भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल चुनाव जीते।

कांग्रेस ने बालाघाट, होशंगाबाद, रतलाम और मंदसौर सीट पर सीट पर तीन-तीन नामों का पैनल तैयार किया गया है।

बालाघाट सीट से हिना कांवरे, अनुभा मुंजारे और सम्राट सरस्वार का पैनल बनाया है। 2019 में चुनाव में भाजपा के ढाल सिंह बिसेन चुनाव जीते थे। कांग्रेस के मधु भगत को हार मिली थी।

होशंगाबाद सीट से संजय शर्मा, सुनील जायसवाल और मनीष राय के नाम शामिल हैं। 2019 में भाजपा के राव उदय प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान को हार मिली थी।

रतलाम-झाबुआ सीट से कांग्रेस एक बार फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर दांव लगा सकती है। वे पिछला चुनाव भाजपा के जीएस डामोर से हार गए थे। इसी सीट से पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा और हर्ष विजय गहलोत का नाम भी पैनल में हैं।

मंदसौर संसदीय सीट से विपिन जैन, स्वनिल नाहटा और राकेश पाटीदार के नाम पैनल में शामिल हैं। 2019 में कांग्रेस ने मीनाक्षी नटराजन को टिकट दिया था। भाजपा के सुधीर गुप्ता ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी।

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मुरैना-ग्वालियर सीट पर कांग्रेस ने पांच नामों का पैनल तैयार किया है।

मुरैना सीट से डॉ. गोविंद सिंह, सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू, लाखन सिंह यादव, पंकज उपाध्याय और बैजनाथ कुशवाहा का नाम शामिल है। पिछली बार 2019 में इस सीट से भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीते थे। उनके सामने कांग्रेस के रामनिवास रावत चुनाव हारे थे। तोमर ने 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ा। वे विधायक बने। अभी मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर हैं। इस सीट से गोविंद सिंह की लड़ने की चर्चा ज्यादा है। गोविंद सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। लहार विधानसभा सीट से कई वर्षों तक विधायक रहे हैं। लेकिन 2023 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

ग्वालियर सीट से ग्वालियर ग्रामीण से विधायक साहब सिंह गुर्जर, रामसेवक सिंह, लाखन सिंह यादव, प्रवीण पाठक और कैलाश कुशवाहा के नाम शामिल हैं। कांग्रेस इस सीट पर जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही किसी चेहरे को उम्मीदवार बनाएगी। 2019 में इस सीट से भाजपा के विवेक शेजवलकर ने चुनाव जीता था। कांग्रेस ने अशोक सिंह को टिकट दिया था। कांग्रेस ने हाल ही में अशोक सिंह को राज्यसभा भेजा है।

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